हमारे देश में इसकी बड़ी खपत है। हींग बहुत से रोगों को खत्म करती है। वैद्यों का कहना है कि हींग को उपयोग लाने से पहले उसे सेंक लेना चाहिए। चार प्रकार के हींग बाजारों में पाये जाते हैं जैसे कन्धारी हींग, यूरोपीय वाणिज्य का हींग, भारतवर्षीय हींग, वापिंड़ हींग।
हींग पुट्ठे और दिमाग की बीमारियों को खत्म करती है जैसे मिर्गी, फालिज, लकवा आदि। हींग आंखों की बीमारियों में फायदा पहुंचाती है। खाने को हजम करती है, भूख को भी बढ़ा देती है।
गरमी पैदा करती है और आवाज को साफ करती हैं। हींग का लेप घी या तेल के साथ चोट और बाई पर करने से लाभ मिलता है तथा हींग को कान में डालने से कान में आवाज़ का गूंजना और बहरापन दूर होता है।
हींग जहर को भी खत्म करती है। हवा से लगने वाली बीमारियों को भी हींग मिटाती है। हींग हलकी, गर्म और और पाचक है। यह कफ तथा वात को खत्म करती है। हींग हलकी तेज और रुचि बढ़ाने वाली है। हींग श्वास की बीमारी और खांसी का नाश करती है। इसलिए हींग एक गुणकारी औषधि है।
सामग्री:
- हींग – सवा दो ग्राम।
दवा बनाने की विधि:
- भुनी हींग, कालाजीरा, सफेद जीरा, अजवायन, और सेंधानमक पीसकर चूर्ण बना लें। इसको एक बार में ढाई-तीन ग्राम ताजे पानी के साथ लेने से दिल की कमजोरी, घबराहट तथा जलन में लाभ होता है।
- हींग, बच, सोंठ, जीरा, कूट, हरड़ चीता, जवाखार, संचर नमक तथा पोहकर मूल। इन सबको बराबर की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण शहद या देशी घी के साथ सेवन करें।
- हींग 120 मिलीग्राम को पीसकर बीज निकले मुनक्का में रखकर गोली बनाकर कम गर्म पानी से दें।
सावधानी :
यह गर्म दिमाग और गर्म मिजाज वालों को हानि पहुंचा सकती है। इसका इस्तमाल ध्यान से करे