अरीठे के वृक्ष भारतवर्ष में अधिकतर सभी जगह होते हैं। यह वृक्ष बहुत बड़ा होता है, इसके पत्ते गूलर से भी बड़े होते हैं। अरीठे के वृक्ष को साधारण समझना केवल भ्रम है। अरीठे को पीसकर सिर में डाल लेने से साबुन की आवश्यकता ही नहीं रहती है।
अरीठा के फायदे:
- मिर्गी में :
- अरीठे को पीस-छानकर रख लें, इसे रोजाना सूंघने से मिरगी का रोग खत्म हो जाता है।
- अरीठे की बीज रोगी के मुंह में रख देने से मिरगी के कारण होने वाली बेहोशी दूर हो जाती है।
- अरीठे के चूर्ण को कपड़े से छानकर मिरगी के रोगी को सुंघाने से मिरगी रोग खत्म हो जाता है।
- नींबू के रस में अरीठे को घिसकर उसको नाक में टपकाने से मिर्गी के दौरे समाप्त हो जाते हैं।
- पेट में दर्द :
- अरीठे और करंजवे (कटुकरंजा) के बीज का चूर्ण बराबर-बराबर लेकर उसमें आधा हिस्सा हींग और संचल डालकर अदरक के रस में चने के बराबर गोली बनाएं और दिन में 3 बार 2-2 गोली गर्म पानी के साथ दें। 1 सप्ताह में पेट का तेज से तेज दर्द भी ठीक होता है।
- अरीठे की छाल और समुद्रफेन को खाने से पेट की बीमारियां मिट जाती हैं।
- दमा या अस्थमा :
- अरीठे की छाल के बारीक चूर्ण को सेवन करने से कफ पतला होकर तुरन्त निकल जाता है।
- अरीठे का पानी पिलाना चाहिए और इसका फेन पेट पर मलना चाहिए।
- अरीठा की मींगी या आम की गुठली की गिरी को खाने से श्वास रोग दूर हो जाता है।
- मस्तिसिक से जुडी समस्या :
- लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग अरीठे की गिरी सुंघाने से तेज सिर का दर्द भी ठीक हो जाता है।
- अरीठे के पत्तों के रस में कालीमिर्च को घिसकर नाक में डालना चाहिए। इससे सिर में दर्द, आधे सिर में दर्द यानी माइग्रेन आदि सभी प्रकार के मस्तिष्क रोग नष्ट हो जाते हैं।