• असगन्ध एक ऐसी प्राकृतिक जड़ी-बूटी है जिससे बच्चे, जवान, बूढ़े, विवाहित या अविवाहित, स्त्री-पुरूष सभी लाभान्वित होते हैं। 
  • असगन्ध जड़ का चूर्ण मोटापा कम करने से लेकर महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता हो या गर्भधारण न कर पाने की समस्या, हृदय-रोग, अल्जाइमर रोग, आंखों की दृष्टि बढ़ाने, जोड़ों में दर्द जैसे बहुत सारे रोगों में मददगार सिद्ध होता है। 
  • कुछ विशेष रोगों में इसकी पत्तियों या पंचांग का भी प्रयोग किया जाता है।

तो आइये जानते हैं असगन्ध के औषधीय गुणों को –

  • कमजोरी– शरीर पुष्टि के लिए असगन्ध का विभिन्न प्रकार से प्रयोग किया जाता है
    • तीन ग्राम असगन्ध चूर्ण सुबह दूध के साथ नियमित रूप से लेने से शरीर की कमजोरी दूर होती है।
    • तीन ग्राम असगन्ध चूर्ण, पांच ग्राम तिल्ली और पांच ग्राम घी लेकर इसमें तीन ग्राम शहद मिलाकर नियमित रूप से ठण्ड के दिनों में सेवन करने से कमजोर शरीर वाला भी शक्तिशाली हो जाता है। शरीर का वज़न बढ़ता है।
    • असगन्ध चूर्ण 3 ग्राम, मिश्री 3 ग्राम, शहद 6 ग्राम में शहद की मात्रा से विषम मात्रा में गाय का घी मिलाकर सेवन करने से वृद्धावस्था के लक्षणों में कमी आती है, युवा की तरह उत्साह पैदा होता है।
  • गर्भधारण – अश्वगन्धा चूर्ण 20 ग्राम, पानी आधा लिटर तथा गाय का दूध 250 मिली 

  • प्रदर रोग – स्त्रियों में कमज़ोरी के कारण होने वाले श्वेतप्रदर व रक्त प्रदर में भी असगन्ध के प्रयोग से लाभ होता है।

  • मासिक धर्म सम्बन्धी विकार – मासिक धर्म के समय अत्यधिक दर्द तकलीफ़ होने की अवस्था में असगन्ध चूर्ण व शक्कर बराबर मात्रा में लेकर पीस कर चूर्ण बना लें। इसकी 5 ग्राम मात्रा सुबह खाली पेट मासिक धर्म शुरू होने के लगभग एक सप्ताह पहले से रोज सेवन करें। मासिक धर्म शुरू हो जाने पर बन्द कर दें। इससे मासिक धर्म के दौरान होने वाले कष्टों में राहत मिलती है।

  • सूतिका रोग – सन्तान को जन्म देने के बाद छः माह तक का समय सूतिका अवस्था कहलाता है। इस अवस्था में आने वाली कमज़ोरी व रोगों को दूर करने हेतु असगन्ध चूर्ण, पीपल चूर्ण, शतावरी चूर्ण, गिलोय चूर्ण, त्रिफला चूर्ण व पिपलामूल चूर्ण सम मात्रा में मिलाकर शक्कर व घी या दूध के साथ देना चाहिए।