- महुआ भारत के कई प्रान्तों में पाया जाता है, इसका वृक्ष काफी लम्बा चौड़ा होता है, यह गुजरात में अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके पत्ते बादाम के पत्तों की तरह होते है, इनकी पत्तल बनाई जाती है। महुआ के फूल सफेद, फल कच्चे हरे, पकने पर पीले तथा सूखने पर लाल व हल्के मटमैले रंग के हो जाते हैं। इसके फूल मीठे, फल कड़वे और पकने पर मीठे हो जाते हैं।
- महुआ के पेड़ जंगल और पर्वतों पर पाए जाते हैं। इसके पेड़ ऊंचे और बड़े-बड़े होते हैं। इसके फूल में शहद के समान गन्ध आती है तथा बीज शरीफे की भांति होते हैं। इसके पेड़ की तासीर ठंडी होती हैं। मगर यूनानी मतानुसार महुआ गर्म है। महुआ के फूल का अधिक मात्रा में सेवन करने से सिर में दर्द शुरू हो जाता है।
महुआ के 8 औषधीय गुण :
- गठिया रोग- महुआ की छाल का काढ़ा बना कर दिन में तीन बार पीने से गठिया रोग में लाभ मिलता है। महुआ की छाल को पीस कर गर्म करके लेप करने से भी गठिया रोग में आराम मिलता है।
- बुखार– महुआ के फूल का काढ़ा बना कर लगभग 20 मिलीलीटर दिन में 2 से 3 बार लेने पर बुखार दूर होता है साथ ही शरीर को शक्ति मिलती है।
- चेहरे के दाग धब्बे-महुए की छल का काढ़ा पीने से दाग धब्बे कम हो जाते हैं तथा खाज खुजली की वजह से हुए जख्म भी सही हो जाते हैं।
- दांतों की मजबूती-महुआ या आंवले की टहनी से दातून करने से दांतों का हिलना बंद हो जाता है। इससे दांत मजबूत हो जाते है तथा मसूढ़ों से खून आना भी बंद हो जाता है।
- खांसी- महुआ के फूल का काढ़ा सुबह शाम पीने से खांसी में आराम मिलता है, महुआ के पत्तों का काढ़ा बना कर पीने से भी खांसी दूर हो जाती है।
- मिर्गी- छोटी पीपल, बच, काली मिर्च तथा महुआ को सेंध नमक मिला कर पानी के साथ लेने पर मिर्गी, पागलपन, (वात, पित्त तथा काफ के एक साथ बिगड़ने) तथा गैस आदि के रोग में लाभ मिलता है।
- बवासीर-महुआ के फूल को पीस कर छाछ में मिलकर एक कप सुबह शाम लेने से बवासीर में आराम मिलता है।
- घुटने का दर्द- महुआ के फूल को बकरी के दूध में पकाकर पीने से घुटनों के दर्द में आराम मिलता है।