नमस्कार दोस्तों एक बार फिर से आपका All Ayurvedic में स्वागत है, आज हम आपको 80 प्रकार के वातरोगों से निजात पाने के लिए औषधियों का अद्भुत योग बताएँगे। होने वाले सभी प्रकार के वातरोगों में लहसुन का उपयोग करना चाहिए। इससे रोगी शीघ्र ही रोगमुक्त हो जाता है तथा उसके शरीर की वृद्धि होती है।

इससे 80 प्रकार के वात रोग जैसे : 

पक्षाघात (लकवा)अर्दित (मुँह का लकवा), गृध्रसी (सायटिका)जोड़ों का दर्दहाथ पैरों में सुन्नता अथवा जकड़न, कम्पनदर्दगर्दन व कमर का दर्दस्पांडिलोसिस आदि तथा दमापुरानी खाँसीअस्थिच्युत (डिसलोकेशन)अस्थिभग्न (फ्रेक्चर) एवं अन्य अस्थिरोग दूर होते हैं। इसका सेवन माघ माह के अंत तक कर सकते हैं। व्याधि अधिक गम्भीर हो तो आश्रम से वैद्यकीय सलाह ले एक वर्ष तक भी ले सकते हैं। लकवाग्रस्त लोगों तक भी इसकी खबर पहुँचायें।वात रोग को जड से मिटाने के लिए विस्तार से All Ayurvedic पर और भी ज्ञानवर्धक लेख देखें ।

कश्यप ऋषि के अनुसार लहसुन सेवन का उत्तम समय पौष व माघ महीना (22 दिसम्बर से 18 फरवरी तक) है।

बनाने विधि :  

200 ग्राम लहसुन छीलकर पीस लें। 4 लीटर दूध में ये लहसुन व 50 ग्राम गाय का घी मिलाकर दूध गाढ़ा होने तक उबालें। फिर इसमें 400 ग्राम मिश्री, 400 ग्राम गाय का घी तथा सोंठकाली मिर्च,पीपर,  दालचीनी,  इलायची, तमालपात्र,  नागकेशरपीपरामूलवायविडंगअजवायनलौंगच्यवकचित्रक, हल्दीदारूहल्दीपुष्करमूलरास्नादेवदारपुनर्नवागोखरूअश्वगंधा, शतावरीविधारानीमसोआ व कौंचा के बीज का चूर्ण प्रत्येक 3-3 ग्राम मिलाकर धीमी आँच पर हिलाते रहें। मिश्रण में से घी छूटने लग जायगाढ़ा मावा बन जाय तब ठंडा करके इसे काँच की बरनी में भरकर रखें।

सेवन करने का तारिक :

10 से 20 ग्राम यह मिश्रण सुबह गाय के दूध के साथ लें पाचनशक्ति उत्तम हो तो शाम को पुनः ले सकते हैं।

भोजन में मूलीअधिक तेल व घी तथा खट्टे पदार्थों का सेवन न करें। स्नान व पीने के लिए गुनगुने पानी का प्रयोग करें।