कद्दू को तो सभी जानते हैं। यह भारत भर में उगाया जाता है। यह एक पौष्टिक सब्जी है। पके कद्दू के अन्दर बहुत से बीज पाए जाते हैं। ये बीज ज्यादातर तो फेंक ही दिए जाते हैं। पर क्या आपको पता है, ये बीज अत्यंत ही पौष्टिक होते है। यह छोटे-छोटे बीज मिनरल्स से भरे हुए होते है। कद्दू के बीज उच्च रक्तचाप को कम करते है। यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर हैं। इनका सेवन खनिजों की कमी को दूर करता है। इसमें जिंक, सेलेनियम और मैग्नीशियम होने के कारण यह पुरुषो के लिए विशेष रूप से लाभप्रद है।
कद्दू के बीज में अच्छी मात्रा में जिंक या जस्ता पाया जाता है। एक चौथाई कप कद्दू के बीज का सेवन दैनिक ज़रूरत का करीब 17 प्रतिशत जिंक देता है। जिंक एक आवश्यक खनिज है। यह सेलुलर चयापचय, इम्युनिटी के लिए, प्रोटीन संश्लेषण, घाव भरने, में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह करीब 100 एंजाइमों का उत्प्रेरक है। यह ओमेगा 3 फैट, अल्फा लिनोलेनिक एसिड का उत्तम स्रोत है। यह विटामिन A, B1, B2, B3, का अच्छा स्रोत है।
कद्दू के बीज में मैगनिशियम (magnesium) काफी मात्रा में होता है। एक चौथाई कप कद्दू के बीज का सेवन दैनिक ज़रूरत का करीब 50 प्रतिशत मैग्नेशियम देता है। मैग्नीशियम शरीर में होने वाली विविध जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं, प्रोटीन संश्लेषण, मांसपेशियों और तंत्रिका के कामकाज, रक्त शर्करा नियंत्रण, और रक्तचाप विनियमन के लिये ज़रूरी है। यह डीएनए, आरएनए DNA, RNA और एंटीऑक्सीडेंट के संश्लेषण के लिए आवश्यक है। यह मांसपेशियों में संकुचन के लिए तथा हृदय के सही रूप से काम करने के लिए भी ज़रूरी है। मैग्नेशियम (magnesium) की कमी से भूख न लगना, मतली, उल्टी, थकान, कमजोरी, झुनझुनी, मांसपेशियों में संकुचन और ऐंठन, दौरे, व्यक्तित्व परिवर्तन, असामान्य हृदय लय, उच्च रक्तचाप, तथा माइग्रेन हो सकता है।
कद्दू और इसके बीजों के 10 फ़ायदे
- हाथ-पैरों की जलन : हाथ-पैरों में जलन होने पर कद्दू के बीज को पीसकर जलन वाले स्थान पर लगाएं और थोड़ी देर रखकर खारे पानी से धो लें। इससे हाथ-पैरों की जलन दूर होती है। या पैरों में जलन होने पर पैरों को खारी पानी में डुबकर रखना चाहिए। इससे जलन दूर होती है।
- एसिडिटी : कद्दू का रस 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में निकाल लें और इसमें 10 ग्राम मिश्री मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें। इसके सेवन से अम्लपित्त या एसिडिटी का रोग दूर होता है। या कद्दू का रस सेवन करने से खट्टी डकारें व एसिडिटी की परेशानी दूर होती है।
- विष का प्रभाव दूर करे : भोजन या रसायनिक विष के सामान्य प्रभावों को दूर करने के लिए कद्दू का रस प्रयोग किया जा सकता है।
- मिर्गी : कद्दू का रस निकालकर 7 से 24 मिलीलीटर रस को 3 ग्राम मुलेठी के चूर्ण के साथ दिन में 2 बार सेवन करें। इसके सेवन से मिर्गी रोग ठीक होता है।
- शरीर की सूजन : कद्दू के लगभग 8 से 10 बीजों को शहद के साथ मिलाकर खाने से सूजन दूर होती है।
- पथरी : शरीर का सूज जाना, पेशाब में शक्कर आना एवं मूत्राशय में पथरी बनना आदि रोग को ठीक करने के लिए कद्दू का रस प्रतिदिन सेवन करना चाहिए।
- दांतों की बीमारी : लहसुन की मात्रा से तीन गुना कद्दू का बीज मिलाकर पानी में उबाल लें और फिर इस पानी को छानकर कुल्ला करें। इस तरह लहसुन व कद्दू के बीज को पानी में गर्म करके प्रतिदिन कुल्ला करने से दांतों का दर्द व अन्य परेशानी दूर होती है।
- पौरुष ग्रन्थि : कद्दू के बीजों का रस निकालकर प्रयोग करने से पौरुश ग्रन्थि के विकार दूर होते हैं। पौरुष ग्रन्थि बढ़ जाने पर इसे रोकने के लिए 40 साल से ऊपर के लोगों को इसका प्रयोग रोजाना खाने में करना चाहिए।
- पेट के कीड़े : कद्दू का रस निकालकर पीने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं।
- घाव : कद्दू के बीजों को पीसकर लगाने से घाव के कीड़े खत्म होते हैं।
इस बात का ध्यान रहे
कद्दू के बीज, तासीर में गर्म होते है तथा पित्त और कफ को कम करते हैं। ज्यादा मात्रा में खाने पर यह वात को बढ़ाते है। यह प्रोटीन में समृद्ध होते हैं। इसमें ज़रूरी विटामिन, मिनरल सभी पाए जाते है, तो खाइए इन बीजों को और बढाइए अपने स्वास्थ्य को।