नमस्कार मित्रों All Ayurvedic में आज हम आपको चमेली के औषधीय गुणो के बारे में बताएँगे। चमेली की बेल होने के कारण सभी लोग इसे पहचानते हैं। इसे संस्कृत में सौमनस्यायनी, हिन्दी में चमेली, मराठी में चंबेली, गुजराती में चंबेली, अंग्रेजी में जास्मीन (Jasmine) नाम से जानी जाती है। चमेली के फूल सफेद रंग के होते हैं। लेकिन किसी-किसी स्थान पर पीले रंग के फूलों वाली चमेली की बेलें भी पायी जाती हैं। चमेली के फूल, पत्ते तथा जड़ तीनों ही औषधीय कार्यों में प्रयुक्त किये जाते हैं। इसका स्वाद तीखा और सुगन्धित होता है। इसकी प्रकृति ठण्डी होती होती है।
इसके फूलों से तेल और इत्र का निर्माण भी किया जाता है।
चमेली के 10 चमत्कारी फ़ायदे :
- त्वचा रोग : चमेली के फूलों को पीसकर बनी लुगदी को त्वचा रोगों (जैसे दाद, खाज, खुजली) पर रोजाना 2-3 बार लगाने से त्वचा रोग ठीक हो जाते हैं। या चमेली का तेल चर्मरोगों की एक अचूक व चामत्कारिक दवा है। इसको लगाने से सभी प्रकार के जहरीले घाव, खाज-खुजली, अग्निदाह (आग से जलना), मर्मस्थान के नहीं भरने वाले घाव आदि अनेक रोग बहुत जल्दी ही ठीक हो जाते हैं। या चर्मरोग (त्वचा के रोग) तथा रक्तविकार से उत्पन्न रोगों में चमेली के 6-10 फूलों को पीसकर लेप करने से बहुत लाभ मिलता है।
- खूनी बवासीर : चमेली के पत्तों का रस तिल के तेल की बराबर की मात्रा में मिलाकर आग पर पकाएं। जब पानी उड़ जाए और केवल तेल शेष रह जाए तो इस तेल को गुदा में 2-3 बार नियमित रूप से लगाएं। इससे खूनी बवासीर नष्ट हो जाती है।
- बालों के रोग : चमेली के पत्ते, कनेर, चीता तथा करंज को पानी के साथ लेकर पीस लें, फिर इनकी लुगदी के वजन से 4 गुना मीठा तेल और तेल के वजन से 4 गुना पानी और बकरी का दूध लें, इन सबको मिलाकर पका लें। जब थोड़ा तेल ही बाकी रह जाये तब इसे उतारकर छान लें। इस तेल को रोजाना सिर पर लगाने से गंजेपन का रोग मिट जाता है।
- सिर-दर्द : चमेली के तेल को सिर में लगाने से सिर-दर्द ठीक हो जाता हैं।
- दांतों का दर्द : दांतों में ज्यादा दर्द होने पर चमेली के पत्ते, मैनफल, कटेरी, गोखरू, लोध्र, मंजीठ तथा मुलहठी को बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ पीसकर लुगदी बना लें। लुगदी की मात्रा से चार गुना तेल और तेल से 4 गुना पानी मिलाकर सबको आग पर पकायें। जब पानी जल जाए तथा तेल शेष बच जाए तो उसे छान लें। रोजाना सुबह-शाम इस तेल को दांतों पर मलने से दांतों का दर्द खत्म हो जाता है।
- फटी एड़िया : चमेली के पत्तों के ताजा रस को पैरों की बिवाई (फटी एड़िया) पर लगाने से बिवाई (फटी एड़िया) ठीक हो जाती है।
- मुंह के छाले : चमेली के पत्तों को मुंह में रखकर पान की तरह चबाने से मुंह के छाले, घाव व मुंह के सभी प्रकार के दाने नष्ट हो जाते हैं।
- मसूढ़ों के दर्द में : चमेली के पत्तों से बने काढ़े से बार-बार गरारे करते रहने से मसूढ़ों के दर्द में लाभ मिलता है।
- चेहरे की चमक : चमेली के 10-20 फूलों को पीसकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे की चमक बढ़ जाती है।
- पेट के कीडे़ : चमेली के 10 ग्राम पत्तों को पीसकर पीने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं और मासिक धर्म भी साफ होता है।
कृपया ध्यान दे : चमेली का अधिक मात्रा में उपयोग करने से गर्म स्वभाव वालों के लिए सिर दर्द में दर्द उत्पन्न हो सकता है। चमेली के उपयोग से होने वाले सिर दर्द को दूर करने के लिए गुलाब का तेल और कपूर का तेल उपयोग में लाना चाहिए।