जब हम भोजन करते हैं तो भोजन के पचने के बाद हमारा शरीर कई तरह के तत्व उस पचे हुए भोजन से ग्रहण करता है, यूरिक एसिड उन्ही तत्वों में से एक है. ज्यादातर यूरिक एसिड हमारे शरीर में खून के माध्यम से किडनी से होकर पेशाब के जरिए हमारे शरीर से बाहर निकल जाती है, लेकिन हमारा शरीर इसे पूरी तरह से बाहर नहीं निकाल पाता तो फिर यह धीरे-धीरे और बढ़ती चली जाती है।
- यूरिक एसिड का बढ़ने की समस्या बडी तेजी से बढ़ रही है। आयु बढ़ने के साथ-साथ यूरिन एसिड गाउट आर्थराइटिस समस्या का होना तेजी से आंका गया है। जोकि लाईफ स्टाईल, खान-पान, दिनचर्या के बदलाव से भोजन पाचन प्रक्रिया के दौरान बनने वाले ग्लूकोज प्रोटीन से सीधे यूरिन एसिड में बदलने की प्रक्रिया को यूरिन एसिड कहते हैं। भोजन पाचन प्रक्रिया दौरान प्रोटीन से ऐमिनो एसिड और प्यूरीन न्यूक्लिओटाइडो से यूरिक एसिड बनता है। यूरिक एसिड का मतलब है, जो भोजन खाया जाता है, उसमें प्यूरीन पोष्टिकता संतुलन की कमी से रक्त में असंतुलन प्रक्रिया है। जिससे प्यूरीन टूटने से यूरिक एसिड बनता है। यूरिक ऐसिड एक तरह से हड्डियों जोड़ों अंगों के बीच जमने वाली एसिड़ क्रिस्टल है। जोकि चलने फिरने में चुभन जकड़न से दर्द होता है। जिसे यूरिक एसिड कहते हैं। शोध में यूरिक एसिड को शरीर में जमने वाले कार्बन हाइड्रोजन आक्सीजन नाइट्रोजन सी-5, एच-4, एन-4, ओ-3 का समायोजक माना जाता है। यूरिक एसिड समय पर नियत्रंण करना अति जरूरी है। यूरिक एसिड बढ़ने पर समय पर उपचार ना करने से जोड़ों गाठों का दर्द, गठिया रोग, किड़नी स्टोन, डायबिटीज, रक्त विकार होने की संभावनाएं ज्यादा बढ़ जाती है। रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा को नियत्रंण करना अति जरूरी है।
- खून में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने के कारण हमें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है और बहुत ज्यादा बढ़ने पर यह दूसरी कई दर्दनाक और गंभीर बीमारियों को जन्म देने लग जाती है. जैसे- जोड़ों में दर्द होना, खासकर हाथों और पैरों की उंगलियों में, घुटनों में बार-बार सूजन आ जाना आदि. खून में यूरिक एसिड बढ़ने से डायबिटीज, स्टोन और किडनी से संबंधित बीमारी होने की संभावना होती है।
यूरिक एसिड और गठिया का लक्षण :
- शुरुआत में बढ़ी हुई यूरिक एसिड की वजह से शरीर के जोड़ों में हल्की चुभन का एहसास होता है लेकिन इसे नजरअंदाज किया जाए तो यह धीरे-धीरे जोड़ों में जमा होने लगती है, जिससे कि समय के साथ-साथ वह पर की हड्डियों का आकार बदलने लगता है और गठिया की बीमारी को जन्म देती है।
- पैरो-जोड़ों में दर्द होना। पैर एडियों में दर्द रहना। गांठों में सूजन। जोड़ों में सुबह शाम तेज दर्द कम-ज्यादा होना। एक स्थान पर देर तक बैठने पर उठने में पैरों एड़ियों में सहनीय दर्द। फिर दर्द सामन्य हो जाना। पैरों, जोड़ो, उगलियों, गांठों में सूजन होना। शर्करा लेबल बढ़ना। इस तरह की कोई भी समस्या होने पर तुरन्त यूरिक एसिड जांच करवायें।
- अगर शाम के समय या सुबह सोकर उठने पर आपको अचानक शरीर में दर्द होने लगता है तो इसे मामूली थकान की वजह से होने वाला दर्द समझकर नजरअंदाज ना करें क्योंकि यह भी शरीर में बढ़ी हुई यूरिक एसिड का लक्षण हो सकता है। आइए जानते हैं बढ़ी हुई यूरिक एसिड की समस्या को कम समय में खत्म करने के लिए सबसे आसान और असरदार घरेलू नुस्खे के बारे में।
यूरिक एसिड और गठिया को ठीक करने के जबरदस्त नुस्खे :
- इसे बनाने के लिए हमें जरूरत होगी लौकी, काली मिर्च और अजवाइन की. सबसे पहले अजवाइन को हल्का भूनकर इसका पाउडर बना लें, उसके बाद लौकी को छीलकर इसका एक गिलास जूस निकाल लें और तैयार जूस के अंदर एक चम्मच अजवाइन का पाउडर तथा दो से तीन चुटकी काली मिर्च डालकर सारी चीजों को आपस में अच्छी तरह से मिक्स कर लें। इस तरह से तैयार लौकी के जूस का रोजाना सुबह नाश्ते के साथ सेवन करें।
- हर तरह के विषैले तत्व को शरीर से बाहर निकालने के लिए लौकी सबसे ज्यादा फायदेमंद होती है, लौकी के जूस में काली मिर्च और आजवाइन मिलाया जाये तो इसका असर दुगना हो जाता है, जो शरीर में हो रहे दर्द को कम करती है और गठिया की बीमारी में सुधार लाती है, इसके साथ ही आप अपनी बढ़ी हुई यूरिक एसिड की समस्या में कमाल का फर्क महसूस करेंगे।
- आंवला रस और एलोवेरा रस मिश्रण कर सुबह शाम खाने से 10 मिनट पहले पीने से यूरिक एसिड कम करने में सक्षम है।
- यूरिक एसिड बढ़ने के दौरान जैतून तेल का इस्तेमाल खाने तड़के-खाना बनाने में करें। जैतून तेल में विटामिन-ई एवं मिनरलस मौजूद हैं। जोकि यूरिक एसिड नियत्रंण करने में सहायक हैं।