- दीपावली की खरीदारी करने के बाद इस दिन से ही रात को दीपक जलाने की परम्परा बड़ी पुरानी है, पंचपर्वों का उत्सव धनतेरस से ही शुरू हो जाता है। मृत्यु के देवता यम को स्मरण करते हुए एक दीपक प्रतिदिन इसी दिन से जलाने की परंपरा शुरू होती है तथा यमदेव से प्रार्थना की जाती है कि घर में किसी की अकाल मृत्यु न हो।
इस संबंध में एक पौराणिक कथा भी प्रसिद्ध है
- एक दिन मृत्यु के देवता यमराज के मस्तिष्क में विचार आया कि मेरे आदेश पर मेरे दूत किसी के भी प्राण हर लेते हैं, क्या कभी उन्हें किसी पर दया नहीं आती तथा किसी नौजवान के प्राण हरण करने पर उनका मन नहीं पसीजता?
- विचार मन में आते ही यमराज ने अपने दूत को बुला कर उक्त प्रश्न किया। यमदूत ने कहा कि एक बार हंस नामक राजा के घर में जब पुत्र हुआ तो ज्योतिषियों की भविष्यवाणी थी कि विवाह के चार दिन बाद राजकुमार की मृत्यु हो जाएगी। राजा ने विचार किया कि वह राजकुमार का विवाह ही नहीं करेंगे। राजा ने इसी मंशा से राजकुमार को जंगल में स्थित एक महात्मा की कुटिया में भेज दिया परंतु होनी को कोई टाल नहीं सकता। एक दिन हंस नाम के राजा की रूपवती कन्या रास्ता भूलकर वहां आ गई। राजकुमार ने उसके साथ गन्धर्व विवाह कर लिया। विवाह के चार दिन बाद ही राजकुमार की मृत्यु हो गई। जब राजकुमारी पति की मृत्यु पर विलाप कर रही थी तो यमदूत का दिल पसीज गया था। उसने यमराज से कहा कि इस तरह की जवान मौत से बचने का क्या कोई उपाय है?
- यह प्रश्न सुनकर यमराज ने कहा कि जो व्यक्ति कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन मेरे नाम का दीपक सच्चे मन से जलाएगा, उसके परिवार में कभी अकाल और जवान मृत्यु नहीं होगी। इसी कारण धनतेरस की रात को यम दीपक जलाया जाता है।
अकाल मृत्यु का रक्षक यम दीपक
- धनतेरस की रात जिस घर में दीपक जलाया जाता है, उस घर की अकाल मृत्यु और जवान मृत्यु से रक्षा तो होती ही है। यदि दीपक में एक साबुत लौंग डाल दिया जाए तो घर में आएगा इतना धन कि सात पीढ़ी तक चलेगा। इस दीप को घर के मंदिर में हनुमान जी के समक्ष प्रज्वल्लित करें और उनकी आरती करें। इसके अतिरिक्त ध्यान रखें दीपक खंडित न हो। घर के मुख्यद्वार पर दो दीपक, आंगन और छत पर एक-एक दीप का दान करें।