- हमारे देश में स्वांस संबंधी बीमारी कई बीमारी होने लगी जिसमें अस्थमा या दमा सबसे ज्यादा होने वाली बीमारी में से एक है और भारत में अस्थमा के मरीजों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है अस्थमा के कारण कई लोगों का खास खास कर बहुत बुरा हाल हो चुका है अस्थमा होने का मुख्य कारण किसी चीज से एलर्जी होना है. और ये बीमारी हर उम्र के लोगो में देखी जाती है चाहे वे बुजुर्ग हो बच्चे ये किसी को भी सकती है. और इसके अलावा भी इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे हवा में प्रदूषण, अस्थमा दमा जैसी बीमारियों को जन्म देता है।
- सांस लेने में दिक्कत या कठिनाई महसूस होने को श्वास रोग कहते हैं। इस रोग की अवस्था में रोगी को सांस बाहर छोड़ते समय जोर लगाना पड़ता है। इस रोग में कभी-कभी श्वांस क्रिया चलते-चलते अचानक रुक जाती है जिसे श्वासावरोध या दम घुटना कहते हैं। श्वांस रोग और दमा रोग दोनों अलग-अलग होते हैं। फेफड़ों की नलियों की छोटी-छोटी तंतुओं (पेशियों) में जब अकड़नयुक्त संकोचन उत्पन्न होता है तो फेफड़ा सांस द्वारा लिए गए वायु (श्वास) को पूरी अन्दर पचा नहीं पाता है जिससे रोगी को पूरा श्वास खींचे बिना ही श्वास छोड़ने को मजबूर हो जाता है। इसी स्थिति को दमा या श्वास रोग कहते हैं।
- आज के समय में दमा (अस्थमा) तेजी से स्त्री-पुरुष व बच्चों को अपना शिकार बना रहा है। यह रोग धुंआ, धूल, दूषित गैस आदि जब लोगों के शरीर में पहुंचती है तो यह शरीर के फेफड़ों को सबसे अधिक हानि पहुंचाती है। प्रदूषित वातावरण में अधिक रहने से श्वास रोग (अस्थमा) की उत्पत्ति होती है। यह श्वसन संस्थान का एक भयंकर रोग है। इस रोग में सांस नली में सूजन या उसमें कफ जमा हो जाने के कारण सांस लेने में बहुत अधिक कठिनाई होती है। दमा का दौरा अधिकतर सुबह के समय ही पड़ता है। यह अत्यंत कष्टकारी है जो आसानी से ठीक नहीं होता है।
आवश्यक सामग्री :
- सुहागा का फूला
- मुलहठी
- शहद
औषधि बनाने की विधि :
- भुना हुआ सुहागा लगभग 75 ग्राम और शहद 100 ग्राम को मिलाकर रख लें और रात को सोते समय यह 1 चम्मच की मात्रा में चाटें। इससे श्वास रोग (दमा) में बहुत लाभ मिलता है।
- सुहागा का फूला और मुलहठी को अलग-अलग कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बना लें और फिर इन दोनों औषधियों को बराबर मात्रा में मिलाकर किसी शीशी में सुरक्षित रख लें। यह चूर्ण आधा से 1 ग्राम की मात्रा में दिन में 2-3 बार शहद के साथ चाटने से या गर्म जल के साथ सेवन करने से दमा रोग ठीक होता है। इससे खांसी व जुकाम भी नष्ट होता है। बच्चों के दमा रोग में यह चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथाई भाग की मात्रा में देना चाहिए। इस औषधि का सेवन करते समय दही, केला चावल तथा ठंड़े पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
ज़रूरी सावधानी :
- दमा से बचने के लिए पेट को साफ रखना चाहिए। कब्ज नहीं होने देना चाहिए। ठंड से बचे रहे। देर से पचने वाली गरिष्ठ चीजों का सेवन न करें। शाम का भोजन सूर्यास्त से पहले, शीघ्र पचने वाला तथा कम मात्रा में लेना चाहिए। गर्म पानी पिएं। शुद्ध हवा में घूमने जाएं। धूम्रपान न करें क्योंकि इसके धुएं से दौरा पड़ सकता है। प्रदूषण से दूर रहे खासतौर से औद्योगिक धुंए से। धूल-धुंए की एलर्जी, सर्दी एवं वायरस से बचे। मनोविकार, तनाव, कीटनाशक दवाओं, रंग-रोगन और लकड़ी के बुरादे से बचे। मूंगफली, चाकलेट से परहेज करना चाहिए। फास्टफूड का सेवन नहीं करना चाहिए। अपने वजन को कम करें और नियमित रूप से योगाभ्यास एवं कसरत करना चाहिए। बिस्तर पर पूर्ण आराम एवं मुंह के द्वारा धीरे-धीरे सांस लेना चाहिए। नियमपूर्वक कुछ महीनों तक लगातार भोजन करने से दमा नष्ट हो जाता है।
अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, कब्ज, सफ़ेद बाल और बलगम के लिए :
- बलगम एक बहुत बुरी व्याधि हैं, इसकी वजह से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, सफ़ेद बाल आदि रोग झेलने पड़ते हैं। थोड़ा सा सर्दी खांसी ज़ुकाम होने के बाद बलगम बहुत आने लगती हैं, कभी कभी तो ये इतनी होती हैं के बोलते बोलते मुंह में ही आ जाती हैं। ऐसे में ये घरेलु उपाय थोड़े दिन में ही बलगम से मुक्ति दिला देगा। ये प्रयोग बलगम रेशा को दूर कर खांसी, ज़ुकाम, अस्थमा, साइनस, ब्रोंकाइटिस, कब्ज आदि सब बीमारियो में रामबाण की तरह हैं। और ये हर उम्र के रोगी के लिए उपयोगी हैं।
आवश्यक सामग्री :
- मेथी दाना – 10 ग्राम
- काली मिर्च – 15 ग्राम
- बुरा शक्कर – 50 ग्राम
- बादाम गिरी – 100 ग्राम
औषधि बनाने की विधि :
- इन सब पदार्थो को अलग अलग पीसकर एक साथ मिला लीजिये। हर रोज़ रात को गर्म दूध के साथ (दूध अगर देशी गाय का हो तो बेस्ट है) एक चम्मच इस मिश्रण का सेवन करे। इससे बलगम, रेशा, खांसी, ज़ुकाम, साइनस, ब्रोंकाइटिस, कब्ज आदि में बहुत लाभ होता हैं। ज़रुरतानुसार 1 से 3 महीने तक लीजिये। सर्दियों में तो ये नित्य लेने से अत्यंत लाभ होता हैं। गर्मियों में अगर सेवन से गर्मी महसूस हो तो इसकी मात्रा आधी लीजिये।