- त्वचा की लाली, चकत्ते, जलन, त्वचा के रंग में परिवर्तन और सूजन ये सभी त्वचा एलर्जी के संकेत हो सकते हैं। एलर्जी शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है और जब आप किसी त्वचा विशेषज्ञ के पास जाएंगे तो वह त्वचा विशेषज्ञ एलर्जी का इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं और क्रीम लिखेंगे लेकिन आप घर पर इसका इलाज करने के लिए इन सरल प्राकृतिक उपचारों की भी मदद ले सकते हैं।
- नींबू विटामिन सी का एक बहुत ही अच्छा स्रोत है और इसके विरंजन गुण भी होते हैं, जिससे यह त्वचा की समस्याओं के लिए सबसे अच्छा प्राकृतिक उपचार है। इसका इस्तेमाल करते समय शुरू में आपको जलन महसूस हो सकती है, लेकिन नींबू खुजली को जल्द ही ठीक कर सकता है। नींबू में साइट्रिक एसिड भी होता है जो एलर्जी को बहुत ही प्रभावी ढंग से ठीक करता है।
आवश्यक सामग्री :
- नींबू का रस या
- एक नींबू
इस्तेमाल करने की विधि :
- इसके इस्तेमाल के लिए सबसे पहले थोड़ा-सा नींबू का रस लें और फिर प्रभावित क्षेत्र पर नींबू का रस लगाएं और इसे सूखने के लिए छोड़ दें। इसे लगाने के बाद आपको थोड़ी सी जलन महसूस हो सकती है और त्वचा को परेशानी हो सकती है, लेकिन आपको खुजली नहीं करनी है। सूख जाने के बाद साफ़ पानी से इसे धों लें।
रक्त शोधक के घरेलू उपाय जिससे त्वचा विकार दूर रहते है :
- दिन में एक-दो चम्मच अलसी के बीजों के तेल का सेवन करना त्वचा के लिए काफी फायदेमंद होता है। बेहतर रहेगा कि इसका सेवन किसी अन्य आहार के साथ ही किया जाए। अलसी के तेल को कभी भी सेकना नहीं चाहिए।
- रीठे के छिलके के पाउडर में शहद मिलाकर चने के बराबर गोलियाँ बना लें। सुबह एक गोली अधबिलोई दही के साथ और शाम को पानी के साथ निगल लें। उपदंश, खाज, खुजली, पित्त, दाद और चम्बल के लिए पूर्ण लाभप्रद है।
- सिरस की छाल का पाउडर 6 ग्राम सुबह व शाम शहद के साथ 60 दिन सेवन करें। इससे सम्पूर्ण रक्तदोष सही होते हैं।
- अनन्तमूल, मुलहटी, सफेद मूसली, गोरखमुण्डी, रक्तचन्दन, शनाय और असगन्ध 100 -100 ग्राम तथा सौंफ, पीपल, इलायची, गुलाब के फूल 50 -50 ग्राम। सभी को जौकुट करके एक डिब्बे में भरकर रख लें। एक चम्मच 200 ग्राम पानी में धीमी आंच में पकाएं और जब पानी 50 ग्राम रह जाय तब उसे छानकर उसके दो भाग करके सुबह और शाम मिश्री मिलाकर पिये। यह क्वाथ रक्त विकार, उपदंश, सूजाक के उपद्रव, वातरक्त और कुष्ठरोग को दूर करता है।
- चार ग्राम चिरायता और चार ग्राम कुटकी लेकर शीशे या चीनी के बर्तन में 125 ग्राम पानी डालकर रात को उसमे भिगो दे और ऊपर से ढक कर रख दे। प्रात: काल रात को भिगोया हुआ चिरायता और कुटकी का पानी निथार कर कपडे से छान कर पी ले और पीने के बाद 3-4 घंटे तक कुछ नहीं खाए और उसी समय अगले दिन के लिए उसी पात्र में 125 ग्राम पानी डाले। इस प्रकार चार दिन तक वही चिरायता और कुटकी काम देंगे। तत्पश्चात उनको फेंककर नया चार चार ग्राम चिरायता और कुटकी डालकर भिगोये और चार चार दिन के बाद बदलते रहे। यह पानी लगातार दो चार सप्ताह पीने से एक्ज़िमा, फोड़े फुंसी आदि चर्म रोग नष्ट होते हैं, मुंहासे निकलना बंद होते हैं और रक्त साफ़ होता हैं।