- पान 🍃 जिसे अंग्रेजी में ‘betel leaf’ और संस्कृत में नागवल्लरी या सप्तशिरा कहते हैं, दक्षिण पूर्वी एशिया में पाया जाने वाली एक लता होती है। दिल के आकार वाले पान के पत्ते औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में भोजन के उपरांत पान का सेवन बहुत ही प्रचलित है। भारत में हर गली नुक्कड़ पर पान के दूकान की मौजूदगी इस बात का सबूत है की यहाँ पान कितना पसंद किया जाता है।
- पूजा पाठ से लेकर पान का इस्तेमाल मिठाई बनाने तक के लिए किया जाता है। हम यह बात मान सकते है कि पान के पत्तों में सुपारी, तंबाकू, चूना आदि लगा कर खाने से स्वास्थ संबंधी बीमारी हो सकती है। लेकिन आगर आप केवल पान के पत्तें का इस्तेमाल करते है तो यह काफी लाभकारी हो सकता है। इसे खानें से गंभीर से गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर दूर करने से लेकर सरदर्द, कब्ज, दर्द दूर करने के गुण होते हैं।
- आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में पान के इन्ही औषधीय गुणों के बारे में बताएँगे। आइए जानते हैं पान के पत्ते के फायदों के बारे में। भारत में पान केवल खाने के लिए ही नहीं बल्कि पूजा, यज्ञ, हवन, सांस्कृतिक कार्यों, मेहमानों का स्वागत आदि कार्यो में इस्तेमाल किया जाता है। पान बिहार, पश्चिम बंगाल, बनारस, सांची आदि जगहों में पैदा की जाती है। विभिन्न स्थानों में पैदा होने के कारण पान मद्रासी, बंगला, कपूरी, महोबा, बनारसी, मालवी, विओला, महाराजपुर, देशी आदि नामों से जाने जाते हैं। इन सभी में बनारस का पान सबसे अधिक अच्छा होता है।
दमा या अस्थमा (Asthma) होने का कारण :
- श्वास रोग एक एलर्जिक तथा जटिल बीमारी है जो ज्यादातर श्वांस नलिका में धूल के कण जम जाने के कारण या श्वास नली में ठंड़ लग जाने के कारण होती है।
- दमा रोग जलन पैदा करने वाले पदार्थों का सेवन करने, देर से हजम होने वाले पदार्थों का सेवन करने, रसवाहिनी शिराओं को रोकने वाले तथा दस्त रोकने वाले पदार्थों के सेवन करने के कारण होता है। यह रोग ठंड़े पदार्थों अथवा ठंड़ा पानी अधिक सेवन करने, अधिक हवा लगने, अधिक परिश्रम करने, भारी बोझ उठाने, मूत्र का वेग रोकने, अधिक उपश्वास तथा धूल, धुंआ आदि के मुंह में जाने के कारणों से श्वास रोग उत्पन्न होता है।
- अधिक दिनों से दूषित व बासी ठंड़े खाद्य पदार्थों का सेवन करने और प्रदूषित वातावरण में रहने से दमा (अस्थमा) रोग होता है। कुछ बच्चों में दमा रोग वंशानुगत भी होता है। माता-पिता में किसी एक को दमा (अस्थमा) होने पर उनकी संतान को भी (अस्थमा) रोग हो सकता है।
- वर्षा ऋतु में दमा रोग अधिक होता है क्योंकि इस मौसम में वातावरण में अधिक नमी (आर्द्रता) होती है। ऐसे वातावरण में दमा (अस्थमा) के रोगी को श्वास लेने में अधिक कठिनाई होती है और रोगी को दमा के दौरे पड़ने की संभावना रहती है। दमा के दौरे पड़ने पर रोगी को घुटन होने लगती है और कभी-कभी दौरे के कारण बेहोश भी होकर गिर पड़ता है।
दमा का अद्भुत उपाय :
- लगभग 5 से 10 मिलीलीटर पान के रस को शहद के साथ या अदरक के रस के साथ प्रतिदिन 3-4 बार रोगी को देने से दमा या श्वास का रोग ठीक हो जाता है।
- गजपीपली का चूर्ण पान में रखकर सेवन करने से श्वास रोग मिट जाता है।
- बंगाली पान को कूट-पीसकर कपड़े में निचोड़कर 500 मिलीलीटर की मात्रा में रस निकाल लें। इसी तरह अदरक और अनार का रस 500-500 मिलीलीटर की मात्रा में लें। इसके साथ ही कालीमिर्च 60 ग्राम और छोटी पीपल 80 ग्राम लेकर सभी को एक साथ कूट-पीसकर 1 किलो मिश्री मिलाकर धीमी आंच पर रखकर चासनी बना लें। प्रतिदिन इस चासनी को 10-10 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से खांसी, श्वास और बुखार आदि रोग दूर हो जाते हैं तथा भूख बढ़ने लगती है।
- जावित्री को पान में रखकर खाने से दमा के रोग में लाभ होता है।
- पान में चूना और कत्था बराबर मात्रा में लगाकर 1 इलायची और 2 कालीमिर्च को डालकर धीरे-धीरे चबाकर चूसते रहने से दमा के रोग में आराम मिलता है।
दमा या अस्थमा (Asthma) में सावधानी :
- दमा से पीड़ित रोगियों को तरबूज का रस नहीं पीना चाहिए। दमा के रोगियों को केला कम खाना चाहिए। दमे में केले से एलर्जी हो सकती है। दमा से बचने के लिए पेट को साफ रखना चाहिए। कब्ज नहीं होने देना चाहिए। ठंड से बचे रहे। देर से पचने वाली गरिष्ठ चीजों का सेवन न करें। शाम का भोजन सूर्यास्त से पहले, शीघ्र पचने वाला तथा कम मात्रा में लेना चाहिए। गर्म पानी पिएं। शुद्ध हवा में घूमने जाएं। धूम्रपान न करें क्योंकि इसके धुएं से दौरा पड़ सकता है। प्रदूषण से दूर रहे खासतौर से औद्योगिक धुंए से। धूल-धुंए की एलर्जी, सर्दी एवं वायरस से बचे। मनोविकार, तनाव, कीटनाशक दवाओं, रंग-रोगन और लकड़ी के बुरादे से बचे। मूंगफली, चाकलेट से परहेज करना चाहिए। फास्टफूड का सेवन नहीं करना चाहिए। अपने वजन को कम करें और नियमित रूप से योगाभ्यास एवं कसरत करना चाहिए। बिस्तर पर पूर्ण आराम एवं मुंह के द्वारा धीरे-धीरे सांस लेना चाहिए। नियमपूर्वक कुछ महीनों तक लगातार भोजन करने से दमा नष्ट हो जाता है।
दमा या अस्थमा (Asthma) में भोजन तथा परहेज :
- दमा से पीड़ित रोगी को एक बार में भरपेट भोजन नहीं करना चाहिए।
- दमा से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन सुबह-शाम बकरी का दूध पीना चाहिए।
- रोगी को खुली धूप में कभी नहीं बैठना चाहिए।
- रोगी के लिए धूप के पास वाले छायादार स्थान में बैठना लाभकारी होता है।
- रोगी को मन शान्त रखना चाहिए और किसी भी प्रकार की चिन्ता,
- तनाव , क्रोध और उत्तेजना से बचना चाहिए।
- रोगी की छाती पर प्रतिदिन सुबह सूर्य की किरण डालनी चाहिए।
- रोगी को ठंड़ी या गर्म चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। रोगी को हल्का तथा पाचक भोजन लेना चाहिए।
- गले तथा छाती को ठंड़ से बचाना चाहिए। पेट में कब्ज हो जाए तो उसे दूर करने के लिए फलों का रस गर्म करके सेवन करना चाहिए। दस्त लाने वाले चूर्ण का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि दमा के रोगी की सहनशक्ति बहुत कम होती है।
- भोजन में गेहूं की रोटी, तोरई , करेला , परवल , मेथी , बथुआ आदि चीजे लेनी चाहिए।
- पुराने सांठी चावल , लाल शालि चावल, जौ , गेहूं, पुराना घी, शहद, बैंगन, मूली , लहसुन , बथुआ, चौलाई, दाख, छुहारे, छोटी इलायची , गोमूत्र, मूंग व मसूर की दाल, नींबू , करेला , बकरी का दूध, अनार, आंवला तथा मिश्री आदि का सेवन करना दमा रोग में लाभकारी होता है।
- इस रोग में ठंडी चीजे, दूध, दही , केला , संतरा , सेब , नाशपाती , खट्टी चीजे आदि नहीं खानी चाहिए।
- शराब तथा बीड़ी-सिगरेट पीना भी हानिकारक होता है।
- दमा के रोगी को रूखा, भारी तथा शीतल पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। सरसों , भेड़ का घी, मछली, दही, खटाई, रात को जागना, लालमिर्च , अधिक परिश्रम, शोक, क्रोध, गरिष्ठ भोजन और दही आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
पान 🍃 (Betel Leaf) के पत्ते के 20 अन्य अद्भुत फायदे :
- कब्ज : पान के पत्ते चबाना कब्ज के लिए भी एक कारगर इलाज है। कब्ज की स्थिति में पान के पत्ते पर अरंडी का तेल (Castor Oil) लगाकर चबाने से कब्ज में राहत मिलती है।
- खाँसी : पान के 15 पत्तो को 3 ग्लास पानी में डाल ले. इसके बाद, इसे तब तक उबाले, जब तक पानी उबल कर 1/3 ना रह जाए। इसे दिन में 3 बार पिए।
- पाचन तंत्र : पान के पत्ता का वैसे माउथ फेशनर की तरह इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन इसे चबाने से हमारें लिए कापी फायदेमंद हो सकता है। जब हम इसे चबा कर खाते है तब हमारी लार ग्रंथि पर असर पड़ता है। इससे इससे सलाइव लार बनने में मदद मिलती है। जो हमारी पाचन तंत्र के लिए बहुत ही जरुरी है। अगर आपने भारी भोजन भी कर दिया है उसके बाद आप पान खा लें। इससे आपको भोजन आसानी से पच जाएगा।
- ब्रोंकाइटिस : पान के 7 पत्तो को 2 कप पानी में रॉक शुगर के साथ उबाले। जब पानी एक ग्लास रह जाए तो उसे दिन में तीन बार पिए. ब्रोंकाइटिस में लाभ होगा।
- शरीर की दुर्गंध : 5 पान के पत्तो को 2 कप पानी में उबाले। जब पानी एक कप रह जाए तो उस पानी को दोपहर के समय पी ले। शरीर की दुर्गंध दूर हो जाएगी।
- घाव : पान के पत्ते को पीस कर जले हुए जगह पर लगाए. कुछ देर बाद इस पेस्ट को धो दे और वहा शहद लगा कर छोड़ दे। घाव जल्दी ठीक हो जाता हैं।
- गैस्ट्रिक अल्सर : पान के पत्ते के रस को पीने से गैस्ट्रिक अल्सर को रोकने में काफी मदद करता है। क्योंकि इसे गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव गतिविधि के लिए भी जाना जाता है।
- नकसीर : गर्मियो के दिनों में नाक से खून आने पर पान के पत्ते को मसलकर सूँघे। इससे बहुत जल्दी आराम मिलेगा।
- मुँह के छाले : मुँह में छाले हो जाने पर पान को चबाए और बाद में पानी से कुल्ला कर ले। ऐसा दिन में 2 बार करे। राहत मिलेगी। आप चाहे तो ज़्यादा कत्था लगवा कर मीठा पान खा सकते हैं।
- कैंसर : पान चबाने से ओरल कैंसर से भी बचा जा सकता है बशर्ते की पान का इस्तेमाल जर्दा और तम्बाकू के बिना किया जाये। पान के पत्ते में मौजूद एब्सकोर्बिक एसिड (Abscorbic acid) और अन्य एंटीऑक्सीडेंट मुंह में बन रहे हानिकारक कैंसर फ़ैलाने वाले तत्वों को नष्ट करते हैं। इसके सेवन से मुंह की दुर्गन्ध भी जाती है।
- आँखों की जलन और लाल होना : 5-6 छोटे पान के पत्तो को ले और उन्हे एक ग्लास पानी में उबाले. इस पानी से आँखो पर छींटे मारे। आँखो को काफ़ी आराम मिलेगा।
- खुजली : पान के 20 पत्तो को पानी में उबाले। अच्छी तरह से उबलने के बाद इस पानी से नहा ले। खुजली की समस्या ख़त्म हो जाएगी।
- मोटापा : वजन कम कर रहे लोगो के लिए पान के पत्ते चबाना बहुत ही फायदेमंद होता है। पान के सेवन शरीर का मेटाबोलिज्म आश्चर्यजनक रूप से बढता है। जिस से वजन कम करने में सहयता मिलती है। इसके सेवन से शरीर से अतिरिक्त वसा भी नष्ट होती है।
- मसूड़ो से खून आना : 2 कप पानी में 4 पान के पत्ते को डाल कर उबाल ले। इस पानी से गरारे करे। मसूड़ो से खून आना बंद हो जाएगा।
- पौरुष शक्ति : पान को शक्ति का सिंबल भी माना जाता है। इसलिए नए जोड़े को पान खिलाने की परंपरा भी काफी पुरानी है। इसलिए इसे दिया जाता है।
- माँ और शिशु : पान के कुछ पत्तो को ले। इन्हे धोने के बाद इन पर तेल लगा कर हल्का सा गर्म कर ले और गुनगुना होने पर इसे अंग के आस-पास रखे, इससे सूजन चली जाएगी और बच्चें को दूध पिलाने में आसानी होगी।
- मुँह की बदबू : पान के पत्ते चबा ले या पानी में उबाल कर गरारे करे। मूह से बदबू की समस्या दूर हो जाएगी।
- मुहांसे : पान के 8 पत्ते अच्छी तरह से पीस ले। इसे 2 ग्लास पानी में गाढ़ा होने तक उबाले। बाद में इसे फेसपैक की तरह इस्तेमाल करे। मुहांसे दूर हो जाएँगे।
- बालतोड़ : आयुर्वेद में पान के पत्तों का इस्तेमाल बालतोड़ के उपचार के लिए किया जाता है। बालतोड़ (Boil) हो जाने पर पान के पत्तों को हल्का गर्म कर लें और उसपर अरंडी का तेल लगाकर बालतोड़ वाले स्थान पर चिपकाएँ।