- नमस्कार मित्रों All Ayurvedic में आपका स्वागत है, आज हम आपको रात को सोते वक़्त नाक में देशी घी की सिर्फ़ 2 बूँदे डालने के फ़ायदो के बारे में बताएँगे। देशी गाय के घी में ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो और किसी चीज़ में नहीं मिलते। यहाँ तक की इसमें ऐसे माइक्रोन्यूट्रींस होते हैं जिनमें कैंसर युक्त तत्वों से लड़ने की क्षमता होती है।
- देशी गाय का घी शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक विकास एवं रोग-निवारण के साथ पर्यावरण-शुद्धि का एक महत्त्वपूर्ण साधन है। प्रतिदिन रात को सोते वक़्त नाक में 2 – 2 बूँद गाय के देशी घी डालना हमें बहुत सारे लाभ देता है। देशी घी को लेट कर नाक में डाले और हल्का सा खिंच ले। और पाच मिनट लेते रहे इसे प्रतिमर्श नस्य कहा जाता है।
नस्य कर्म क्यों फायदेमंद है :
- कफज रोगों में नस्य कर्म अतिउपयोगी होता है। श्वास नलिका और नासिका में स्थित ठहरे हुए कफ को नस्य कर्म के माध्यम से बाहर निकाला जा सकता है।
- नस्य कर्म करने से श्वास नलि में जमा हुआ कफ अपनी जगह छोड़ देता है जिससे श्वास नलि में विस्फारक प्रभाव पड़ते हैं।
- उत्तमांगो की क्रिया को सूचारू करने में नस्य कर्म का अपना अलग प्रभाव है। उत्तमांगो का अर्थ है जैसे – सिर, आंख, नाक गला, कान आदि।
- नस्यकर्म उतमांगो की व्यवस्था को सुचारू बनाकर सम्पूर्ण दैहिक क्रियाओं को सुव्यवस्थित करने में महान योगदान देता है।
- नस्य कर्म हमारी इन्द्रियों को बल और सुदृढता प्रदान करता है। नस्य कर्म करवाने से मुखमण्डल पर प्रसन्नता आ जाती है।
- व्यक्ति की आवाज स्थिर और स्निग्ध हो जाती है। ज्ञानेन्द्रियां भी सम्यक ढंग से काम करना शुरू कर देती हैं।
- शरीर में व्याप्त वातादि दोषों का शमन भी होता है। यह कर्म ग्रीवास्तम्भ, आदि वातव्याधि और ऊध्र्वजत्रुगत रोग और कफज रोगों में बृहंण और शमन का कार्य करता है।
- यह कर्म शरीर से त्रिदोषों को दूर करने मे भी सक्षम होता है। नस्य कर्म करवाने से शरीर में व्याप्त त्रिदोष का शोधन होता है। जिससे इनसे होने वाले रोगों से शरीर सुरक्षित रहता है। आंखों , बालों, नासिका और अन्य सिरादि अंगो का संवर्द्धन होता है।
- नस्य कर्म करवाने से प्रतिश्याय, पीनस, अर्धावभेदक, बालों का झड़ना, बालों का सफेद होना, शिरःशुल आदि रोगों में लाभ मिलता है और ये रोग खत्म हो जाते हैं।
नस्य अर्थात नाक में देशी घी की सिर्फ़ 2 बूँदे डालने के ये फ़ायदे :
- बाल झडना : बाल झडना गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है।
- कोमा से जगाए : कोमा गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बाहर निकल कर चेतना वापस लौट आती है।
- पागलपन : गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है।
- एलर्जी : गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।
- कान का पर्दा : गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ही ठीक हो जाता है।
- नाक की खुश्की : नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तरोताजा हो जाता है।
- मानसिक शांति : गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।
- लकवा : गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है।
- हार्ट अटैक : हार्ट अटैक जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाइ खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं, ह्रदय मज़बूत होता है।
- सोरायसिस और त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक : सोरायसिस गाय के घी को ठन्डे जल में फेंट ले और फिर घी को पानी से अलग कर ले यह प्रक्रिया लगभग सौ बार करे और इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें। इस विधि द्वारा प्राप्त घी एक असर कारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है जिसे त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक कि तरह से इस्तेमाल कर सकते है। यह सोरायसिस के लिए भी कारगर है।
- आँखों की ज्योति बढ़ती है : आँखों की ज्योति एक चम्मच गाय का शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है।
- हथेली और पांव के तलवो में जलन : हथेली और पांव के तलवो में जलन होने पर गाय के घी की मालिश करने से जलन में आराम आयेगा।
- कफ की शिकायत : कफ की शिकायत गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है।
- कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता : कैंसर गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है। देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है।
नस्य ना लेने का समय :
- नस्य ना लेने का समय बीमार पड़ने पर, आघात होने पर या बहुत थका हुआ होने पर, वर्षा ऋतू में जब सूर्य ना हो, गर्भवती या प्रसव के बाद, बाल धोने के बाद, भूक या प्यास लगने पर, अजीर्ण होने पर, आघात होने पर या बहुत थका हुआ होने पर, अनुवासन बस्ती या विरेचन के बाद।
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