गोंद कतीरा | Gond Katira

  • गोंद कतीरा एक स्वादहीन, गंधहीन, चिपचिपा और पानी में घुलने वाला प्राकृतिक गोंद है। यह पेड़ से निकालने वाला गोंद है। इसका कांटेदार पेड़ भारत में गर्म पथरीले क्षेत्रों में पाया जाता है। इसकी छाल काटने और टहनियों से जो तरल निकलता है वही जम कर सफेद पीला हो जाता है यही गोंद कतीरा होता है।
  • इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन और फॉलिक एसिड जैसे पोषक तत्व पाए जाते है, जो हमारे शरीर से जुड़ी कई समस्याओं से भी राहत दिलाने में मदद करते हैं। इसके सेवन करने से गर्मियों में लू से तो बचा जा सकता है साथ ही साथ हम कई कई रोगों से भी निजात पा सकते हैं। 
  • गोंद कतीरा का उपयोग कई प्रकार से किया जाता है जैसे दूध, आईसक्रीम और शरबत आदि में। आइए जानते हैं जानते हैं इसके सेवन से स्वास्थ्य को होने वाले फायदों के बारे में…

गोंद कतीरा के फायदे | Gond katira ke fayde

  1. हाथ-पैरों में जलन : अगर हाथ-पैरों में जलन की समस्या हो तो 2 चम्मच गोंद कतीरा को रात को 1 गिलास पानी में भिगों दें, सुबह इसमें शक्कर मिला कर खाने से राहत मिलती है।
  2. एंटी-एजिंग : गोंद कतीरा आपकी त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद है और यह आपकी सुंदरता को बढ़ाता है गोंद कतीरा में एंटी-एजिंग गुण होते हैं ,जो झुर्रियों जैसी समस्या को दूर करता है।
  3. कमजोरी और थकान से छुटकारा : हर रोज सुबह आधा गिलास दूध में कतीरा गोंद और मिश्री डाल कर पीने से कमजोरी और थकान से छुटकारा मिलता है।
  4. माइग्रेन, थकान, कमजोरी, गर्मी की वजह से चक्कर आना, उल्टी : गोंद कतीरा के सेवन से माइग्रेन, थकान, कमजोरी, गर्मी की वजह से चक्कर आना, उल्टी आने पर आराम मिलता है।
  5. टांसिल : अगर आपको बार बार टांसिल की समस्या होती है तो 2 चम्मच गोंद कतीरा में धनिया के पत्तों के रस में मिलाकर रोजाना गले पर लेप करने से यह पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं।
  6. अल्सर : यह मुंह के अल्सर को ठीक करने में भी मदद करता है।
  7. पसीना ज्यादा आना : जिन लोगों को पसीना ज्यादा आता हो, उन्हें गोद कतीरा का सेवन करने से यह समस्या दूर हो जाती है।

इसे कहाँ से प्राप्त करे 

  • यह आपको पंसारी की दुकान पर बड़ी आसानी से मिल जाएगा, आपको दुकानदार को यह कहना है की हमें गोंद कतीरा चाहिए।

विभिन्न प्रकार के गोंद के फ़ायदे 

  1. कीकर या बबूल का गोंद पौष्टिक होता है।
  2. नीम का गोंद रक्त की गति बढ़ाने वाला, स्फूर्तिदायक पदार्थ है। इसे ईस्ट इंडिया गम भी कहते है। इसमें भी नीम के औषधीय गुण होते है।
  3. पलाश के गोंद से हड्डियां मज़बूत होती है। पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध अथवा आँवले के रस के साथ लेने से बल एवं पौरुष में वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं और शरीर पुष्ट होता है। यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है।
  4. आम की गोंद स्तंभक एवं रक्त प्रसादक है। इस गोंद को गरम करके फोड़ों पर लगाने से पीब पककर बह जाती है और आसानी से भर जाता है। आम की गोंद को नीबू के रस में मिलाकर चर्म रोग पर लेप किया जाता है।
  5. सेमल का गोंद मोचरस कहलाता है, यह पित्त का शमन करता है।अतिसार में मोचरस चूर्ण एक से तीन ग्राम को दही के साथ प्रयोग करते हैं। श्वेतप्रदर में इसका चूर्ण समान भाग चीनी मिलाकर प्रयोग करना लाभकारी होता है। दंत मंजन में मोचरस का प्रयोग किया जाता है।
  6. बारिश के मौसम के बाद कबीट के पेड़ से गोंद निकलती है जो गुणवत्ता में बबूल की गोंद के समकक्ष होती है।
  7. हिंग भी एक गोंद है जो फेरूला कुल (अम्बेलीफेरी, दूसरा नाम एपिएसी) के तीन पौधों की जड़ों से निकलने वाला यह सुगंधित गोंद रेज़िननुमा होता है । फेरूला कुल में ही गाजर भी आती है। हींग दो किस्म की होती है – एक पानी में घुलनशील होती है जबकि दूसरी तेल में। किसान पौधे के आसपास की मिट्टी हटाकर उसकी मोटी गाजरनुमा जड़ के ऊपरी हिस्से में एक चीरा लगा देते हैं। इस चीरे लगे स्थान से अगले करीब तीन महीनों तक एक दूधिया रेज़िन निकलता रहता है। इस अवधि में लगभग एक किलोग्राम रेज़िन निकलता है। हवा के संपर्क में आकर यह सख्त हो जाता है कत्थई पड़ने लगता है। यदि सिंचाई की नाली में हींग की एक थैली रख दें, तो खेतों में सब्ज़ियों की वृद्धि अच्छी होती है और वे संक्रमण मुक्त रहती है। पानी में हींग मिलाने से इल्लियों का सफाया हो जाता है और इससे पौधों की वृद्धि बढ़िया होती। 
  8. गुग्गुल एक बहुवर्षी झाड़ीनुमा वृक्ष है जिसके तने व शाखाओं से गोंद निकलता है, जो सगंध, गाढ़ा तथा अनेक वर्ण वाला होता है. यह जोड़ों के दर्द के निवारण और धुप अगरबत्ती आदि में इस्तेमाल होता है।
  9. प्रपोलीश- यह पौधों द्धारा श्रावित गोंद है जो मधुमक्खियॉं पौधों से इकट्ठा करती है इसका उपयोग डेन्डानसैम्बू बनाने मंच तथा पराबैंगनी किरणों से बचने के रूप में किया जाता है।
  10. ग्वार फली के बीज में ग्लैक्टोमेनन नामक गोंद होता है .ग्वार से प्राप्त गम का उपयोग दूध से बने पदार्थों जैसे आइसक्रीम , पनीर आदि में किया जाता है। इसके साथ ही अन्य कई व्यंजनों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। ग्वार के बीजों से बनाया जाने वाला पेस्ट भोजन, औषधीय उपयोग के साथ ही अनेक उद्योगों में भी काम आता है।
  11. इसके अलावा सहजन , बेर , पीपल , अर्जुन आदि पेड़ों के गोंद में उसके औषधीय गुण मौजूद होते है।

गोंद को भुनने की विधि 

  • एक पैन में 1/2 टीस्पून तेल गर्म करके उसमें गोंद को भूनें। 3-4 मिनट भूननें के बाद गोंद पॉपकॉर्न की तरह फूल जाएंगे। सर्दियों में गोंद से बने लड्डू का सेवन भी बहुत फायदेमंद होता है।