घी तो आप सभी खाते होंगे ज्यादातर व्यक्ति गाय का घी खाने से परहेज करते हैं, क्योंकि उसका रंग पीला होता है व स्वाद में थोड़ा चरचरा होता है। इसलिए अधिकतर लोग भैंस का घी खाना ही पसंद करते हैं।
घी खाना हमारे स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक लाभदायक माना जाता है। आयुर्वेद में भी गाय का घी अमृत के समान बताया गया है, क्योंकि गाय का घी कई प्रकार के रोगों में औषधि के रूप में काम में लिया जाता है।
आज का हमारा युवा वर्ग हमारे ऋषियों-मुनियों द्वारा बताई गई ज्ञान और उपयोगिता से बहुत दूर होता गया है। लेकिन आज भी बड़े-बड़े वैज्ञानिक उन्ही चीजों की खोज आज करके भी उसी प्रमाणिकता को प्राप्त करते है जो हमारे पूर्वजो ने की थी।
क्या आपको पता है कि 🐮 गाय 🐄 के घी में कितनी गुणवत्ता है शायद बहुत कम लोगो को है। आइये जानते है गाय के शुद्ध देशी घी के 35 फायदे जिनका महत्व हमारे जीवन में कितना महत्त्वपूर्ण है।
गाय के शुद्ध देशी घी के फायदे :
कहते है पुराना घी गुणी होता है। जी हाँ, ये सच है जितना भी 🐮 गाय 🐄 का घी पुराना हो उतना ही गुणी हो जाता है। पुराना घी तीक्ष्ण, खट्टा, तीखा, उष्ण, श्रवण शक्ति को बढ़ाने वाला घाव को मिटाने वाला, योनि रोग, मस्तक रोग, नेत्र रोग, कर्ण रोग, मूच्छा, ज्वर, श्वांस, खांसी, संग्रहणी, उन्माद, कृमि, विष आदि दोषों को नष्ट करता है। दस वर्ष पुराने घी को कोंच, ग्यारह वर्ष पुराने घी को महाघृत कहते हैं।
स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए प्रतिदिन रात्रि को सोते समय दो दो बूंद देशी गाय का गुनगुना घी दोनों नाक के छेदों में डालें। यह घी रात भर मस्तिष्क को प्राणवायु पहुंचाता रहता है और विद्युत तरंगों से मस्तिष्क को चार्ज करता रहता है। इससे मस्तिष्क की शक्ति बहुत बढ़ जाती है। यदि यह क्रिया प्रातः, अपराह्न और रात को सोते समय कई माह तक की जाती रहे तो श्वास के प्रवाह में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं और अनेक पुराने रोग ठीक हो जाते हैं।
शुष्कता, सूजन, रक्तस्राव, सर्दी, सायनस संक्रमण, नासिका गिल्टी आदि ठीक हो जाते हैं और वायु मार्ग खुल जाने से श्वास की बाधा दूर हो जाती है। नाक में घी डालने के साथ-साथ दो बूंद घी नाभि में डालें और फिर अंगुली से दोनों ओर थोड़ी देर घुमाएं। गाय का घी अपने हाथ से पांव के तलवों पर मालिश करें, इससे बहुत अच्छी नींद आती है, शांति और आनन्द प्राप्त होता है।
देसी गाय 🐄 के घी को रसायन कहा गया है। जो जवानी को कायम रखते हुए, बुढ़ापे को दूर रखता है। काली गाय का घी खाने से बूढ़ा 🎅 व्यक्ति भी जवान जैसा हो जाता है।
गाय 🐄 के घी में स्वर्ण छार पाए जाते हैं, जिसमे अदभुत औषधिय गुण होते है। जो की गाय के घी के इलावा अन्य घी में नहीं मिलते । गाय के घी से बेहतर कोई दूसरी चीज नहीं है।
गाय 🐄 के घी में वैक्सीन एसिड, ब्यूट्रिक एसिड, बीटा-कैरोटीन जैसे माइक्रोन्यूट्रीस मौजूद होते हैं। जिस के सेवन करने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। गाय के घी से उत्पन्न शरीर के माइक्रोन्यूट्रीस में कैंसर युक्त तत्वों से लड़ने की क्षमता होती है।
गाय 🐄 के घी से बल और पौरुष बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है।
गाय 🐄 का घी नाक में डालने से कोमा से बहार निकल कर चेतना वापस लोट आती है। गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है। गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।
आयुर्वेद विशेषज्ञो के अनुसार अनिद्रा का रोगी शाम को दोनों नथुनो में गाय के घी की दो दो बूंद डाले और रात को नाभि और पैर के तलुओ में गौघृत लगाकर लेट जायें तो उसे प्रगाढ़ निद्रा आ जायेगी ।
नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तारो ताजा हो जाता है। गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है।
गाय 🐄 के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।
आपको यदि अगर अधिक कमजोरी लगे तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें।
गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है।
गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है। इसलिए पहले के लोगो में उर्जा और ज्ञान का अभाव नहीं था, मुंह-जबानी पूरा ग्रन्थ रट लिया करते थे।
हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खायें, हिचकी स्वयं रुक जाएगी।
गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना आपरेशन के ही ठीक हो जाता है।
हथेली और पांव के तलवो में जलन होने पर गाय के घी की मालिश करने से जलन में आराम आयेगा।
गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है बल्कि इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है। देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।
गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है।
हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ढीक होता है।
बीस से पच्चीस ग्राम घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे का नशा कम हो जाता है।
सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम घी पिलायें, उपर से जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें। जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष कम हो जायेगा।
फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है।
दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने से माइग्रेन दर्द ढीक होता है। सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो, तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करे, सर दर्द ठीक हो जायेगा।
जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाइ खाने की मनाही है वो गाय का घी खाएं, हृदय मज़बूत होता है।
संभोग के बाद कमजोरी आने पर एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच देसी गाय का घी मिलाकर पी लें। इससे थकान बिल्कुल कम हो जाएगी।
एक बात याद रहे कि गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है। वजन भी नही बढ़ता, बल्कि वजन को संतुलित करता है । यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा कम होता है।
एक चम्मच गाय का शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है।
गाय का घी एक अच्छा (LDL) कोलेसट्रॉल है। उच्च कोलेस्ट्रॉल के रोगियों को गाय का घी ही खाना चाहिए। यह एक बहुत अच्छा टॉनिक भी है। अगर आप गाय के घी की कुछ बूँदें दिन में तीन बार,नाक में प्रयोग करेंगे तो यह त्रिदोष (वात पित्त और कफ) को संतुलित करता है।
गाय के घी को ठन्डे जल में फेंट ले और फिर घी को पानी से अलग कर ले। यह प्रक्रिया लगभग सौ बार करे और इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें। इस विधि द्वारा प्राप्त घी एक असर कारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है, जिससे त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक मलहम कि तरह से इस्तेमाल कर सकते है। यह सौराइशिस के लिए भी कारगर है।
घी और छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शक्कर (बूरा) तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बाँध लें। प्रातः खाली पेट एक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा कुनकुना दूध घूँट-घूँट करके पीने से स्त्रियों के प्रदर रोग में आराम होता है, पुरुषों का शरीर मोटा ताजा यानी सुडौल और बलवान बनता है। तो फिर अभी भी सोच रहे है आप आज से ही गाय 🐄 का शुद्ध घी घर लाकर खाएं और कुछ पुराना होने को रख दे। ये सोच कर कि कभी न कभी आपको इसकी जरुरत पड़ सकती है।
कान में तेज दर्द में सहायक : अगर किसी व्यक्ति का कान का पर्दा खराब हो गया हो जिसके कारण उसे कान में तेज दर्द या श्रवण शक्ति कमजोर हो गई हो, तो कान के पर्दे के इलाज के लिए अक्सर व्यक्ति कान का ऑपरेशन ही करवाते हैं, लेकिन अगर इसका इलाज आप गाय के घी से भी कर सकते हैं तो ऑपरेशन की क्या जरूरत है। इसके लिए आपको गाय के घी की कुछ बूंदें कान में डालने से फायदे होंगे।
गैस की शिकायत : अगर किसी व्यक्ति को गैस की शिकायत रहती है, तो उसके लिए गाय का घी सबसे अधिक लाभकारी है, क्योंकि गाय के घी से एसिडिटी व कब्ज दोनों ही समस्याएं दूर हो जाती हैं।
हिचकियां में सहायक : कई बार हमें हिचकियां आती हैं और वह कई समय तक आती रहती हैं, जिससे हमें बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है। अगर ऐसी स्थिति में आप आधा चम्मच देसी गाय का घी खाए, तो तुरंत हिचकी आना बंद हो जाएगी।
पैरों में जलन या सनसनाहट की शिकायत : अगर किसी व्यक्ति को हाथ या पैरों में जलन या सनसनाहट की शिकायत है, तो ऐसे व्यक्तियों के लिए गाय के घी से पैर के तलवों की मालिश करना काफी लाभदायक होगा।