Digestive System | Stomach Gas | Constipation | Stomach Pain | Acidity 

सौंफ एक बहुत सुगन्धित मसाला है और इसमें उड़नशील तेल पाया जाता है जो इसके औषधीय गुणों के लिए उत्तरदायी है। यह भोजन में एक विशिष्ट सुगंध लाता है जिस के कारण इसका अक्सर भारतीय खाना पकाने में इस्तेमाल किया जाता है। सौंफ़ बीज स्वाद में मधुर किंचित कटु और तिक्त है।

इसमें कई पोषक तत्व, खनिज और विटामिन है जो स्वास्थ्य लाभदायक है। यह अपचन को दूर करती है और इसका प्रयोग दस्त, पेट का दर्द और सांस की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। यह आँखों की समस्याओं में फायदेमंद है।

सब्जियों को ज्यादा स्वादिष्ट बनाने के लिए सौंफ का इस्तेमाल किया जाता है। सौंफ के पौधे से भीनी-भीनी खुशबू आती है और हरी सौंफ बहुत स्वादिष्ट व मीठी होती है। सौंफ का उपयोग सब्जियों के अलावा पान में भी किया जाता है। सौंफ के पौधे 2-3 फुट ऊंचे होते हैं।

सौंफ के पौधे में धनिया के पत्ते के समान बारीक पत्ते लगते हैं। सौंफ के पौधे में लम्बे बाल निकलते हैं और फिर पीले रंग के फूल खिलते हैं। पौधों पर सौंफ के दाने उगते हैं। पहले सौंफ के दाने हरे रंग के होते हैं। पक जाने पर इनका रंग कुछ पीला हो जाता है। सौंफ मुंह की दुर्गंध को खत्म करती है। सौंफ को सुखाकर सेवन करने से पित्त का नाश होता है। आंखों के रोग में सौंफ का रस पीने से लाभ होता है। सौंफ के रस का सेवन करने से पेशाब की रुकावट दूर होती है।

सौंफ के पत्ते लाभकारी होते हैं और कई तरह के रोग विकारों को ठीक करता है। सौंफ के पत्ते को पीसकर पानी के साथ सेवन करने से स्त्री के स्तनों का विकास होता है। सौंफ से बना शर्बत अधिक प्यास लगना कम करता है।

सौंफ हल्की, तेज, तीखी और गर्म होती है। यह पित्त को नष्ट करने वाली, भूख को बढ़ाती है। सौंफ की प्रकृति गर्म होती है और यदि सौंफ को रात को पानी में भिगोकर रख दें और सुबह उस पानी को पीए तो पेट की गर्मी दूर होती है।

सौंफ का रस मीठा, विपाक, कषैला, पेट साफ करने वाला, हृदय को शक्ति देने वाला, घाव, उल्टी, दस्त आदि को दूर करने वाला होता है। सौंफ 2-6 ग्राम की मात्रा में उपयोग करना चाहिए और सौंफ का रस 28 से 56 मिलीलीटर की मात्रा में उपयोग करना चाहिए। आइए जानते है सौंफ के फ़ायदों के बारे में…

सौंफ के फायदे | Digestive System | Stomach Gas | Constipation | Stomach Pain | Acidity 

गैस व कब्ज : सौंफ खाने से पेट और कब्ज की शिकायत नहीं होती। सौंफ को मिश्री या चीनी के साथ पीसकर चूर्ण बना लीजिए, रात को सोते वक्त लगभग 5 ग्राम चूर्ण को हल्केस गुनगने पानी के साथ सेवन कीजिए। पेट की समस्या नहीं होगी व गैस व कब्ज दूर होगा।

आंखों की रोशनी : आंखों की रोशनी सौंफ का सेवन करके बढ़ाया जा सकता है। सौंफ और मिश्री समान भाग लेकर पीस लें। इसकी एक चम्मच मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ दो माह तक लीजिए। इससे आंखों की रोशनी बढती है।

शारीरिक शक्ति के लिए : सौंफ और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण प्रतिदिन सुबह-शाम भोजन के बाद 2 चम्मच की मात्रा में सेवन करें। इससे शरीर को शक्ति व सफुर्ति मिलती है।

अजीर्ण : डायरिया होने पर सौंफ खाना चाहिए। सौंफ को बेल के गूदे के साथ सुबह-शाम चबाने से अजीर्ण समाप्त होता है और अतिसार में फायदा होता है।

उत्तम पाचक : खाने के बाद सौंफ का सेवन करने से खाना अच्छे से पचता है। सौंफ, जीरा व काला नमक मिलाकर चूर्ण बना लीजिए। खाने के बाद हल्के गुनगुने पानी के साथ इस चूर्ण को लीजिए, यह उत्तम पाचक चूर्ण है।

खांसी : खांसी होने पर सौंफ बहुत फायदा करता है। सौंफ के 10 ग्राम अर्क को शहद में मिलाकर लीजिए, इससे खांसी आना बंद हो जाएगा।

पेट में दर्द : यदि आपको पेट में दर्द होता है तो भुनी हुई सौंफ चबाइए इससे आपको आराम मिलेगा। सौंफ की ठंडाई बनाकर पीजिए। इससे गर्मी शांत होगी और जी मिचलाना बंद हो जाएगा।

खट्टी डकारें : यदि आपको खट्टी डकारें आ रही हों तो थोड़ी सी सौंफ पानी में उबालकर मिश्री डालकर पीजिए। दो-तीन बार प्रयोग करने से आराम मिल जाएगा।

हाथ-पांव में जलन : हाथ-पांव में जलन होने की शिकायत होने पर सौंफ के साथ बराबर मात्रा में धनिया कूट-छानकर, मिश्री मिलाकर खाना खाने के पश्चात 5 से 6 ग्राम मात्रा में लेने से कुछ ही दिनों में आराम हो जाता है।

गले में खराश : अगर गले में खराश हो जाए तो सौंफ चबाना चाहिए। सौंफ चबाने से बैठा हुआ गला भी साफ हो जाता है

त्वचा में चमक : रोजाना सुबह-शाम खाली सौंफ खाने से खून साफ होता है जो कि त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है, इससे त्वचा में चमक आती है।

पेट की सूजन : सौंफ़ पेट की सूजन के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता हैं। सौंफ़ बीज चूर्ण आमतौर पर जठरशोथ लक्षणों के उपचार के लिए किया जाता है। यह गैस्ट्रिक एसिड के स्राव विनियमित करता है और श्लैष्मिक कला के शोथ को कम करता है।

अपचन, अमलपित्त, खट्टी डकार, गैस : अपचन, अल्सर, अमलपित्त, खट्टी डकार, गैस और अन्य रोगों के उपचार के लिए सौंफ का प्रयोग उत्तम माना जाता है। यह पेट में तेजाब के स्राव विनियमित करता है, उसकी तीक्ष्णता कम करता है, आमाशय शोथ को दूर करता है, और आमाशय दर्द को दूर करता है।

मुंह के छाले : जिन लोगों के मुंह में अक्सर छाले होते रहते हैं उसे प्रतिदिन खाना खाने के बाद थोड़ी सौंफ खाना चाहिए। इससे मुंह के छाले ठीक होते हैं। सौंफ का चूर्ण बनाकर मुंह के छालों पर लगाने से छाले ठीक होते हैं।

याददास्त का कमजोर होना : सौंफ को थोड़ा पीसकर ऊपर के छिलके उतार दें और अन्दर से मींगी निकालकर बराबर मात्रा में मिश्री के साथ बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में दिन में 2 बार ठंडे पानी या गर्म दूध से फंकी लें। इसके सेवन से स्मरणशक्ति (याददाश्त) बढ़ती है और दिमाग ठंडा रहता है।

उल्टी : सौंफ के वमनरोधी (छदिनिग्रहण) होने के कारण मतली और उल्टी के इलाज में मदद करता है। यह गैस्ट्रिक स्राव को विनियमित कर अम्लीय स्वाद और मुंह के खट्टा स्वाद को कम करने में मदद करता है।

वजन घटना : सौंफ़ चयापचय क्रिया बढ़ाने में सहायक हैं। सौंफ़ वसा चयापचय को बढ़ा देता है और अतिरिक्त चर्बी संचय से बचाता है। यह वजन कम करने में मदद करता है।

बच्चा सुन्दर व अच्छा हो : गर्भधारण करने के बाद पूरे 9 महीने तक खाना खाने बाद प्रतिदिन सौंफ चबाकर खाते रहें। इससे बच्चा सुन्दर व साफ पैदा होता है।

बुखार : तेज बुखार होने पर सौंफ को पानी में उबाल कर 2-2 चम्मच की मात्रा में बार-बार रोगी को पिलाते रहने से बुखार कम होता है।

नाभि का हटना या टलना : 2 चम्मच सौंफ को पीसकर गुड में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम 5 दिन तक सेवन करने से नाभि का टलना या हटना ठीक होता है।

मुंह की दुर्गन्ध : पाचन क्रिया (भोजन पचाने की क्रिया) के खराब होने के कारण मुंह से दुर्गंध आने लगती है। ऐसे में रोगी को प्रतिदिन भोजन करने के बाद सुबह-शाम आधा चम्मच सौंफ चबाकर खाना चाहिए। इससे मुंह की बदबू खत्म होती है और बैठी हुई आवाज खुल जाती है।

खूनी बवासीर : सौंफ और मिश्री को पीसकर आधा चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन दूध के साथ लेने से खूनी बवासीर का रोग ठीक होता है।

अधिक नींद और ऊंघ आना : लगभग 10 ग्राम सौंफ को 500 मिलीलीटर पानी में उबालें और जब पानी केवल एक चौथाई रह जाए तो इसमें थोड़ा-सा नमक मिलाकर सेवन करें। इस तरह काढ़ा बनाकर सुबह-शाम 5 दिनों तक सेवन करने से नींद कम हो जाती है और सुस्ती भी दूर होती है।

नकसीर : 25 ग्राम सौंफ को 25 मिलीलीटर गुलाब के रस मे मिलाकर खाने से नकसीर (नाक से खून बहना) रुक जाता है।

खाज-खुजली : सौंफ व धनियां थोड़ी सी मात्रा में पीस लें और इसमें डेढ़ गुना घी और दुगना चीनी मिलाकर रख लें। यह प्रतिदिन सुबह-शाम 30-30 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से सभी प्रकार की खुजली ठीक होती है।

पेट का भारीपन : नींबू के रस में भीगी हुई सौंफ मिलाकर भोजन के बाद खाने से पेट का भारीपन दूर होता है। इससे भूख खूब लगती है और मल भी साफ होता है।

धूम्रपान छूट जाए : आप सिगरेट, बीड़ी पीना छोडना चाहते है तो सौंफ को घी में सेंक कर शीशी में भर लें। जब भी सिगरेट पीने का मन हो तो इसी सौंफ को आधा-आधा चम्मच की मात्रा में चबाकर खाएं। इससे सिगरेट पीने की आदत छूट जाती है।

हिचकी का बार-बार आना : सौंफ का रस और गुलाबजल बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से हिचकी में लाभ मिलता है। या 10 ग्राम पिसी सौंफ में 10 ग्राम खांड (चीनी) मिलाकर आधा ग्राम दूध या पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से हिचकी बंद होती है।

हृदय की कमजोरी : 10 ग्राम सौंफ को 100 मिलीलीटर पानी में रात को भिगो दें। सुबह सौंफ को इसी पानी में मसलकर छान लें और चीनी मिलाकर सेवन करें। इसका सेवन प्रतिदिन सुबह करने से हृदय की कमजोरी दूर होती है।

पसीना लाने के लिए : सौंफ के पत्तों को पीसकर पानी मे मिलाकर रोगी को बार-बार पिलाने से पसीना आने लगता है।