नमस्कार मित्रों All Ayurvedic में फिर से आपका स्वागत है आज शुगर या मधुमेह रोग मानवता के लिए एक नासूर बन गया है एलोपैथी में हजारों रुपए की दवाएं लोग खाते खाते थके जा रहें हैं पुरुष हो या स्त्री दोनों जातियों में यह रोग घुन लगा रहा है।

और बहुतयात से पाया जाता है जब इनबॉक्स में रोगियों एक बड़ी संख्या शुगर शुगर शुगर पुकार ने लगी और प्रति दिन वाटसअप पर सैकड़ों की संख्या में मैसेज आने लगे तो मुझे अबतक के सबसे तीव्र और अनूठे इस शुगर नाशक महा योग से पर्दा उठाना ही पड़ा इसलिए कि मानवता से बढ़कर कोई चीज नहीं।

डाइबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जिससे रक्त के भीतर शर्करा (ग्लूकोज) की मात्रा अधिक हो जाती है। नियमित योगाभ्यास और नियमित दिनचर्या से इस रोग से बचा जा सकता है। डायबिटीज में शिथिल पेंक्रियाज की स्त्राव क्षमता को धीरे-धीरे कई अभ्यासों से दुरूस्त किया जाना संभव है।

आवश्यक सामग्री | Ingredients

इन्द्रजो कडवा या इन्द्रजो तल्ख़ 250 ग्राम

बादाम 250 ग्राम

भुने चने 250 ग्राम

यह योग बिल्कुल अजूबा योग है अनेकों रोगियों पर आजमाया गया है मेरे द्वारा सत-प्रतिशत रिजल्ट आया है आप इस नुस्खे के रिजल्ट का अंदाजा यूं लगा सकते हैं कि अगर इसको उसकी मात्रा से ज्यादा लिया जाए तो शुगर इसके सेवन से लो होने लगती है बादाम को इस वजह से शामिल किया गया यह शुगर रोगी की दुर्बलता कमजोरी सब दूर कर देता है चने को इन्द्रजो की कड़वाहट थोड़ी कम करने के लिए मिलाया गया।

बनाने कि विधी

तीनों औषधियों का अलग अलग पावडर बनाए और तीनो को मिक्स कर लीजिये और कांच के जार में रख लें और खाने के बाद एक चाय वाला चम्मच एक दिन में केवल एक बार खाएं सादे जल से।

अगर आप दोस्तों में से कोई शुगर रोग से ग्रस्त हो तो स्वयं इस योग का सेवन कर नया जीवन पाईये और अगर कोई आपका अपना शुगर रोगी है तो उसे यह योग शेयर करके नया जीवन गिफ्ट में दीजिए।

Note : चित्र में केवल इन्द्रजो तल्ख (कडवा) दिखाया गया है बाकी दो सामग्रियों को आप भली भांति जानते हो।

डाइबिटीज की रोकथाम के लिए कुछ योगा

पश्चिमोत्तान आसन : दोनों पैरों को आगे की ओर फैलाकर बैठ जाएं। सांस छोडते हुए दोनों हाथों से पैरों के अंगूठे को पकडें। जितना हो सके, सिर को घुटनों के पास लाएं। क्षमतानुसार रूकें, फिर धीरे-धीरे पहले की स्थिति में आ जाएं।

योग मुद्रा : पद्मासन में बैठकर आंखें बंद कर लें। पीठ के पीछे एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई पकड लें। कमर को आगे झुकाते हुए माथा जमीन पर रखें। इस स्थिति में कुछ देर रूककर फिर पहले वाली स्थिति में आ जाएं।

भुजंगासन : पेट के बल लेट जाएं। दोनों हाथों को कंधों के पास रखें और धीरे-धीरे सिर और छाती को ऊपर उठाएं। सांस को सामान्य रखते हुए क्षमतानुसार रूकें।

नोट : समस्या अगर अधिक गंभीर है जो चिकित्सकीय परामर्श बहुत जरुरी है।

इन्द्र जौ के अन्य फायदे

1. मुंह के छाले : इन्द्र जौ और काला जीरा 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर कूटकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को छालों पर दिन में 2 बार लगाने से छाले नष्ट होते हैं। इंद्रजौ के बीज जो जौ के समान होते है।

2. बवासीर : कड़वे इन्द्रजौ को पानी के साथ पीसकर बेर के बराबर गोलियां बना लें। रात को सोते समय दो गोली ठंडे जल के साथ खायें। इससे बादी बवासीर ठीक होती है।

3. कुष्ठ या कोढ : इन्द्र जौ को पीसकर गाय के पेशाब में मिलाकर लेप करने से चर्म-दल कोढ़ मिट जाता है।

4. पाचन की खराबी : इन्द्रजौ के चूर्ण को 2-2 ग्राम खाने से पेट का दर्द और मंदाग्नि समाप्त हो जाती है।

5. पेट के कीड़े : इन्द्रजौ को पीस और छानकर 1-1 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम पीने से पेट के कीडे़ मरकर, मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।

6. पीलिया : काले इन्द्रजौ के बीजों का रस निकालें और थोड़ा-थोड़ा तीन दिनों तक खायें।

7. पथरी : इन्द्र जौ और नौसादर का चूर्ण दूध अथवा चावल के धोये हुए पानी में डालकर पीना चाहिए। इससे 5 दिन में पथरी गलकर निकल जाती है। नही निकले तो प्रयोग कुछ दिन आगे बढ़ाए। इन्द्र जौ की छाल को दही में पीसकर पिलाना चाहिए। इससे पथरी नष्ट हो जाती है।

8. दस्त : इन्द्र-जौ को पीसकर चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में ठंडे पानी के साथ दिन में 3 बार पिलाने से अतिसार समाप्त हो जाती है।

9. पेट की ऐंठन : इन्द्रजौ के बीजों को कुछ गर्म करके पानी में भिगोयें, बाद में उस पानी को सेवन करें। इससे पेट की ऐंठन खत्म हो जाती है।