राशि के लिए एक अलग रत्न होता है। ग्रह दशा ठीक ना होने के कारण बहुत से लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इनकी वजह से स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता, धन की हानि और बने हुए काम भी बिगड़ जाते हैं। लेकिन राशि के हिसाब से रत्न पहनने से ग्रह दशा के बुरे प्रभाव कम हो जाते हैं। इसलिए आज हम आपको बताएंगे राशि के अनुसार कौन सा रत्न पहनना चाहिए।
जानिए राशि के अनुसार कौन सा रत्न पहनना चाहिए
मेष राशि के जातकों को मूंगा रत्न पहनना चाहिए। इसको पहनने से जातक का मन शांत रहेगा और वो कुछ भी हांसिल कर सकता है।
वृषभ राशि के लोगों को हीरा नामक रत्न पहनना चाहिए। इस राशि के लोग बहुत भावुक होते हैं इसलिए लोग फायदा उठाते हैं।
मिथुन राशि लोगों को पन्ना धारण करना चाहिए। इस राशि के जातकों को नीलम रत्न गलती से भी नही पहनना चाहिए।
कर्क राशि के लोग बहुत गुस्से वाले होते हैं इसलिए इन्हें मोती पहनना चाहिए। इसको पहनने से मन शांत रहता है।
सिंह राशि माणिक्य नामक रत्न पहनना चाहिए। इसको पहनने के बाद ये अपनी मंजिल आसानी से हांसिल कर सकते हैं।
कन्या राशि के लोगों को पन्ना रत्न धारण करना चाहिए। क्योंकि इस राशि के लोगों का स्वभाव बहुत चंचल होता है और यह इनके लिए कभी-कभी बड़ी मुसीबत बन जाता है।
तुला राशि के लोगों को ओपल, टोपाज और ब्लू डायमंड पहनना चाहिए। तुला राशि के लोगों में नकारात्मकता ऊर्जा ज्यादा होती है इस कारण ये रत्न इनके लिए लाभदायक होते हैं।
वृश्चिक राशि लोगों को किसी चीज को पाने पाने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है। इसलिए इस राशि के लोगों को मूंगा धारण करना चाहिए।
धनु राशि के जातकों के लिए पुखराज धारण करना बहुत शुभ रहता है।
कुंभ राशि के लोगों को नीलम रत्न पहनना चाहिए।
मकर राशि के लोगो को भी नीलम रत्न पहनना चाहिए।
मीन राशि के जातकों के लिए पुखराज रत्न धारण करना सबसे अच्छा रहता है।
कौन सा रत्न धारण करें???
आज कल सभी लोग अपना लक्की रत्न धारण करना चाहते है ताकि वे जीवन में अधिक से अधिक तरक्की कर सकें! लेकिन सबकी यही समस्या है की आखिर कौन सा रत्न तरक्की देगा ? रत्न धारण करने के लिए हमेशा कुंडली का सही निरिक्षण अति आवश्यक है !
कुंडली के सही निरिक्षण के बिना रत्न धारण करना नुक्सान दायक हो सकता है! आप हमेशा इसी दुविधा में रहते है की क्या में पुखराज धारण कर सकता हूँ अथवा क्या मे नीलम धारण कर सकता हूँ ? यदि मुझे कोई समस्या का समाधान चहिये तो कौन सा रत्न धारण करूँ ! चलो आज हम यह जानने की कोशिश करते है की रत्न धारण करने के पीछे आखिर क्या तथ्य है!
वैदिक ज्योतिष के अनुसार हर ग्रह का सम्बन्ध किसी न किसी रत्न से है, और हर रत्न का सम्बन्ध किसी न किसी ग्रह से ! जैसे सूर्य का सम्बन्ध माणिक्य रत्न से, चन्द्र का मोती से, बुध का पन्ने से, गुरु का पुखराज से शुक्र का हीरे से, शनि का नीलं से, राहू का गोमेद से और केतु का लह्सुनिये से! इस प्रकार हमारे नौ ग्रहों का सम्बन्ध नौ रत्नों से है!
रत्नों के धारण करने के पीछे सामान्य तथ्य यही है की यदि आप किसी भी गृह का प्रतिनिधि रत्न धारण करते है तो आप उस गृह की कार्य शमता को बड़ा देते है! चाहे वह गृह आपके लिए नुक्सान दायक है अथवा फायदेमंद इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता! क्योकि यदि गृह फायदेमंद होगा तो रत्न धारण के पश्चात् अधिक फायदा देगा लेकिन यदि गृह नुक्सान दायक होगा तो रत्न धारण से वह अधिक नुक्सान करेगा!
अब यदि आप कोई रत्न धारण करना चाहते है तो आपको यह अवश्य ज्ञात होना चाहिए की आपकी कुंडली के अनुसार आपका कौन सा गृह फायदेमंद अथवा नुक्सान दायक है! इसीलिए की भी रत्न धारण करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी की सलाह लेनी अति आवश्यक है!
एक अनुभवी ज्योतिषी किस प्रकार जान सकता है की कौन सा रत्न आपको धारण करना चाहिए! हमारी कुंडली में सामान्यता दिखाई देने वाले आछे गृह कई बार अच्छा फल देने की बजाय नुक्सान करते है और नुक्सान देने वाले गृह अच्छा फल दे जाते है! यह भी जरुरी नहीं है की फायदा देने वाले गृह की दशा आपके जीवन आएगी, और यदि आती है तो कब ? बचपन में, जवानी मे या बुढ़ापे में, क्योकि बचपन या बुढ़ापे में इन दशाओं का अधिक महत्व न होगा, क्योकि यदि जवानी में यह दशा आती है तो जातक सामान्य से अधिक तरक्की करता है!
अब यदि आपके अच्छे गृह की दशा आपके जीवन में नहीं आती या फिर ऐसे समय में आती है जब उसका ज्यादा महत्व न हो , तो उस गृह के अच्छे फलों से आप वंचित रह जायेगे ! और यही कारन है की हमें अछे गृह के रत्नों को धारण करना चाहिए, फलस्वरूप यदि उस गृह की दशा न हो तो भी रत्न द्वारा उस गृह के प्रभाव को हम कायम रख सकते है !