Heart Care | Heart Attack | Heart Pain | Cholesterol

आज कल की भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में हम अपना स्वस्थ्य बहुत पीछे छोड़ आये हैं और अक्सर नयी नयी बिमारियो से घिरे होने से आशंकित रहते हैं कि कहीं हम इस प्राण घातक रोग से ग्रस्त न हो जाए। अगर आप हृदय घात से आशंकित हैं तो ये लेख और ये प्रयोग आपके लिए ही हैं। पीपल को वेदो में अमृतमय माना गया हैं।

दुनिया का सब से ताकतवर जीव हाथी हैं जिसका ये बहुत ही पसंदीदा भोजन हैं और हिन्दू धर्म में भी ऐसी कई प्रथाए बनायीं गयी हैं जिस से हम पीपल के समक्ष ज़्यादातर जाए, ऐसा करना कोई अंध श्रद्धा नहीं थी बल्कि उस समय के ज्ञानी पुरुषो ने ऐसा विधान बनाया था क्युकी पीपल के नीचे बैठने से ही कई श्वांस सम्बंधित रोगो से मुक्ति मिल जाती हैं।

भगवान श्री कृष्ण ने पीपल के वृक्ष की महिमा का बखान करते हुए विश्व प्रसिद्ध ग्रंथ गीता में कहा है-‘सब पेड़ों में उत्तम और दिव्य गुणों से सम्पन्न पीपल मैं स्वयं हूँ। प्रकृति ने बहुत सारी चीजो को हमारे शरीर के कुछ अंगो के आकार का बनाया हैं तांकि इसको देख कर हमे ये आभास हो के क्या इसका हमारे शरीर से कोई कनेक्शन हैं। इन्ही में से एक हैं पीपल। आप इसके पत्तो को गौर से देखिये। ये हमारे दिल के आकार के बने हैं। इनमे छिपा हुआ हैं हमारे स्वस्थ हृदय का राज़। पीपल की कोमल पत्तियों में हृदय को ताक़त और शान्ति देने की अद्भुत क्षमता हैं।

पीपल के पत्ते – हमारे हिंदू धर्म में पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है। मान्यता है कि पीपल के वृक्ष में सभी देवी-देवताओं का वास होता है और इसकी पूजा करने से व्यक्ति के ग्रह दोष को भी शांत किया जा सकता है। पीपल बहुत ठंडा होता है। पीपल के पेड़ के अनेक अलौकिक गुणों के कारण इसे हिन्दू लोग बहुत ही पवित्र मानते हैं और पूजा करते हैं।

हिन्दुओं में पीपल की लकड़ियां जलाना निषेध है। पीपल के फल छोटे-छोटे होते हैं। पीपल के पेड़ को छाया के लिए देव-मन्दिरों के आस-पास और रास्तों पर लगाया जाता है। पीपल की छाया स्वास्थ्यवर्द्धक होती है।

पीपल के वृक्ष का ना सिर्फ धार्मिक महत्व है बल्कि यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इंसान के लिए काफी उपयोगी माना गया है। पूरे 24 घंटे तक ऑक्सीजन देनेवाले इस पेड़ के पत्तों का इस्तेमाल आयुर्वेद में कई दवाओं को बनाने के लिए किया जाता है। आइए आज हम आपको बताते हैं कि पीपल के पत्ते आपको किन-किन बीमारियों से छुटकारा दिलाते है।

इसका प्रयोग कैसे करे 

पीपल के पंद्रह ताज़ा पत्ते ले, पत्ते ज़्यादा गुलाबी कोपले कोमल न हो, बल्कि हरे और भली प्रकार विकसित हो। इन पत्तो का ऊपर का और नीचे का कुछ भाग काट कर अलग कर दे।

पत्ते का बाकी का हिस्सा धुलाई कर ले और साफ़ कर ले। इनको 1 गिलास पानी में (लगभग 250 मिली) डालकर धीमी आंच में पकने दे, जब पानी पक कर एक तिहाई रह जाए (लगभग 80 मिली), तो इसको साफ़ मलमल के कपडे से छान कर किसी शीतल स्थान पर ढक कर रख दे, बस दवा तैयार हैं

इसको तीन हिस्सों में बाँट ले और प्रतिदिन तीन तीन घंटे के अंतराल में ले। और ये खुराक लेने से पहले थोड़ा हल्का भोजन जैसे दलिया वगैरह या आटे से बने 2-3 बिस्कुट ज़रूर ले मतलब ये खाली पेट नहीं लेनी

जिनको हृदय घात हो चुका हैं वह जब कुछ दिनों में थोड़े सामान्य हो जाए तब ये प्रयोग लगातार 15 दिन तक करे इस से उनका हृदय पुनः स्वस्थ हो जायेगा और दिल का दौरा पड़ने की सम्भावना नहीं रहेगी।

दिल का दौरा पड जाने से परेशान व्यक्ति इस प्रयोग को ज़िंदगी में कम से कम एक बार ज़रूर करे, इस नुस्खे से उनका हृदय रोग निर्मूल हो सकता हैं।

इनसे परहेज करे 

इस प्रयोग काल में कुछ परहेज बहुत ज़रूरी हैं, ताली हुयी चीजे, चावल, मांस मछली, अंडे, शराब, धूम्रपान,नमक, चिकनाई का प्रयोग बिलकुल बंद कर दे।

यह चीज़ें खाए 

अनार, पपीता, आंवला, बथुआ, लहसुन, मेथी दाना, मौसमी, सेब का मुरब्बा, रात में काले चने भिगो कर सुबह खाली पेट खाए, किशिमिश, दही छाछ।

दिल के रोगों का खतरा होता है कम

पीपल के पत्ते व्यक्ति को दिल की बीमारियों के खतरे से बचाता है. इसके लिए पीपल की 15 ताजी हरी पत्तों को एक गिलास पानी में अच्छी तरह से उबाल लें। पानी को तब तक उबालें जब तक वो एक तिहाई ना रह जाए।

फिर उस पानी को ठंडा करके छान लें और इसकी तीन खुराक बना लें। दिन में हर तीन घंटे के बाद इसका सेवन करें। ऐसा करने से दिल से संबंधित बीमारियों के खतरे को दूर किया जा सकता है।

दिल का दौरा होना (हार्ट अटैक से बचाव)

पीपल के ताजा विकसित कोमल 15 पत्ते लें, फिर हर पत्ते के ऊपर तथा नीचे का कुछ हिस्सा कैंची से काटकर फेंक दें। अब पत्तों को साफ पानी से धो लें। इन सभी 15 पत्तों को लगभग 400 मिलीलीटर पानी में डालकर धीमी आग पर उबालें।

जब एक तिहाई पानी बच जाये तब उतारकर ठंडा कर लें और किसी साफ कपड़े से छानकर ठंडे साफ स्थान पर ढंककर रख दें। इस दवा की 3 खुराके बनाकर दिन में 3-3 घंटे बाद रोगी को देने से दिल के दौरे में आराम मिलेगा। इस प्रकार ताजा नई दवा बनाकर 15 दिन तक रोगी को पिलाने से लाभ मिलता है।

नोट : खुराक को लेते समय पेट बिल्कुल खाली नहीं होना चाहिए। दलिया, बिस्कुट या हल्का नाश्ता करने के थोड़ी देर बाद दवा लें। परहेज : इस दवा के सेवनकाल में तली चीजे, मांस-मछली, अंडे, शराब आदि का सेवन और धूम्रपान न करें। नमक व चिकनाई का प्रयोग कम करें।

कृपया ध्यान रहे

पीपल का अधिक मात्रा में उपयोग करने से सिर दर्द पैदा हो सकता है। पीपल के दोषों को दूर करने के लिए बबूल का गोंद और चंदन पीपल के दोषों को दूर करते हैं।