धनतेरस | Dhanteras
आज के दिन धनतेस का स्वास्थ्य की दृष्टि से बड़ा महत्व है। आयुर्वेद में स्वस्थ शरीर को ही सबसे बड़ा धन माना गया है, स्वस्थ शरीर के लिए मन, आत्मा और ज्ञानेंद्रियों का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है।
एक प्राचीन कहावत है कि ‘पहला सुख निरोगी काया और दूसरा सुख घर में हो माया’ मतलब निरोगी काया ही मनुष्य के लिए सबसे बड़ा और पहला सुख है। इसके बाद लक्ष्मी जी अर्थात धन को दूसरा सुख बताया गया है। इसीलिए दीवाली से पहले धनतेरस आती है।
आयुर्वेद क्या है | Ayurveda
आयुर्वेद (आयु + वेद = आयुर्वेद) विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। यह अथर्ववेद का उपवेद है। यह विज्ञान, कला और दर्शन का मिश्रण है। ‘आयुर्वेद’ नाम का अर्थ है, ‘जीवन का ज्ञान’ और यही संक्षेप में आयुर्वेद का सार है।
हिताहितं सुखं दुःखमायुस्तस्य हिताहितम्।मानं च तच्च यत्रोक्तमायुर्वेदः स उच्यते॥
आयुर्वेद और आयुर्विज्ञान दोनों ही चिकित्साशास्त्र हैं परंतु व्यवहार में चिकित्साशास्त्र के प्राचीन भारतीय ढंग को आयुर्वेद कहते हैं और ऐलोपैथिक प्रणाली (जनता की भाषा में “डाक्टरी’) को आयुर्विज्ञान का नाम दिया जाता है।
धनतेरस के दिन किस देवता की पूजा करे
आज धनतेस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करके स्वस्थ रहने की प्रार्थना की जाती है। धन्वंतरि को स्वास्थ्य और आयुर्वेद चिकित्सा का देवता माना जाता है। इसके बाद दीवाली पर लक्ष्मी पूजन किया जाता है।
भारतीय पंचाग के अनुसार धनतेरस को भगवान ‘धन्वंतरि की जयंती’ भी मनाई जाती है। समस्त प्राणियों का कष्ट दूर करने, रोग-पीड़ा से मानव को मुक्त करने, मानव जीवन की रक्षा के लिए भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर जनकल्याण के लिए समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे।
विष्णु पुराण में उल्लेख किया गया है कि समुद्र मंथन में भगवान धन्वंतरि अमृत से भरा कलश लेकर निकले थे। भागवत पुराण में धन्वंतरि को भगवान विष्णु का बारहवां अवतार बताया गया है।
सुश्रुत संहिता में धन्वतरि का उपदेश
सुश्रुत संहिता में भी इस बात के उल्लेख है कि धन्वन्तरि ने सुश्रुत आदि ऋषियों को उपदेश देते हुए बताया है कि मैं ही आदिदेव धन्वंतरि हूं और पृथ्वी पर आयुर्वेद चिकित्सा के उपदेश के लिए आया हूं।
पुराने समय में वैद्य, हकीम, आयुर्वेद चिकित्सक और तांत्रिक विभिन्न जड़ी-बूटियों से औषधि बनाने का काम कार्तिक त्रयोदशी अर्थात (धनतेरस) को ही करते थे।
तुलसी पूजन, आंवले के वृक्ष का पूजन, आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करना यह सब कार्तिक मास में ही किया जाता है, इससे दैहिक स्तर पर जीवन स्वस्थ रहता है, मन प्रसन्न रहता और प्रकृति की कृपा बनी रहती है।
धन्वन्तरि जयंती का अर्थ प्रकृति की अनुकूलता प्राप्त करके, प्रकृति का आशीर्वाद प्राप्त करना है। आयुर्वेद के अनुसार, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति स्वस्थ शरीर से ही हो सकती है।
स्वास्थ्य के देवता धन्वंतरि का उल्लेख
आयुर्वेद, रामायण, महाभारत सहित विविध पुराणों में भगवान धन्वंतरि का उल्लेख मिलता है। विष्णु पुराण के अनुसार भगवान धन्वंतरि को दीर्घतथा के पुत्र बताया गया है। जिसके अनुसार धन्वंतरि को शारीरिक विकारों से रहित देह वाला बताया गया है।
विष्णु पुराण के मुताबिक भगवान विष्णु ने उन्हें पूर्व जन्म में वरदान दिया था कि काशिराज के वंश में उत्पन्न होकर आयुर्वेद को आठ हिस्सों में विभक्त करोगे। वहीं महाकवि व्यास द्वारा रचित श्रीमद भागवत पुराण के अनुसार धन्वंतरि को भगवान विष्णु के अंश माना है।
ऐसा माना जाता है कि यदि कोई विभिन्न शारीरिक बीमारियों से ग्रस्त है तो उसे भगवान धन्वंतरि की पूजा करना चाहिए। इस दौरान ‘ऊं धाम धन्वंतरि नम:’ मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। कहा गया है कि धनतेरस के दिन इस मंत्र का उच्चारण करने से पुरानी बीमारियां भी दूर हो जाती हैं। साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी अत्यंत फलदायी बताया गया है।
भारतीय ज्योतिष के अनुसार, यदि परिवार का कोई सदस्य लंबे समय से बीमार है या आप अपने माता-पिता, बच्चों, पति या पत्नी की दीर्घायु के लिए कामना करना चाहते हैं तो धन्वंतरि का ध्यान करते हुए 13 दीपक जलाएं।साथ ही धनतेरस की पूजा में धन्वंतरि के साथ माता लक्ष्मी, गणेश और कुबेर की एक साथ पूजा करना फलदायी है।