इस विकास और देखा देखी की अंधी दौड़ में हमने अपने स्वास्थ्य को खो दिया है, इस विज्ञापन आधारित खान पान में हुए बदलाव से हमारी स्थिति यहाँ तक पहुच गई है कि सरकार के आंकड़े के अनुसार हर 100 में से 85 लोग किसी ना किसी बीमारी का शिकार है, ये बीमारी हमें कोई देकर नहीं गया है, ये हमने खुद पैदा की है।
आपने अपने खानपान में इतने बदलाव कर दिए जिसके अनुकूल हमारा शरीर नहीं है, हमने अपना खाने का सब तरीका बदल दिया, जो चीज विज्ञापन में दिखाई जाती है वो अपनी रसोई में ले आए, जिससे आपके शरीर का सत्यनाश हो गया।
खाना चाहे कितना भी अच्छा क्यों न हो, बिना नमक के वह बेस्वाद और अरुचिकर ही लगता है। कभी-कभी सब कुछ ठीक-ठाक होने के बावजूद यदि नमक ज्यादा हो गया है, तो वह खाया नहीं जाता, इसलिए नमक के कम व उचित प्रयोग से भोजन न केवल स्वादिष्ट लगता है, बल्कि कई बीमारियों को भी दूर रखता है।
जिन लोगो को उच्च रक्तचाप यानि हाई ब्लड प्रेशर , खारिश-खुजली, रक्त की खराबी, सफ़ेद दाग या सूजन की तकलीफें होती हैं, उन्हें डॉक्टर परहेज के तौर पर नमक छोड़ने का निर्देश देते हैं।
वैसे शरीर के लिए जितने नमक की आवश्यकता होती है, उसकी पूर्ति तो दाल, फल और सब्जियों के सेवन से ही हो जाती है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अल्जीरिया के मूल निवासी और कोलम्बिया के तटवर्ती मैदानों में बसने वाले लोग नमक का प्रयोग बिलकुल नहीं करते। फिर भी वहां के लोगों का शारीरिक बल और स्वास्थ्य किसी से कम नहीं होता।
आयोडीन नमक या समुद्री नमक की सच्चाई
आयोडीन के नाम पर हम जो नमक खाते हैं उसमें कोर्इ तत्व नहीं होता। आयोडीन और फ्रीफ्लो नमक बनाते समय नमक से सारे तत्व निकाल लिए जाते हैं और उनकी बिक्री अलग से करके बाजार में सिर्फ सोडियम वाला नमक ही उपलब्ध होता है जो आयोडीन की कमी के नाम पर पूरे देश में बेचा जाता है।
जबकि आयोडीन की कमी सिर्फ पर्वतीय क्षेत्रों में ही पाई जाती है इसलिए आयोडीन युक्त नमक केवल उन्ही क्षेत्रों के लिए जरुरी है। सेंधा और काला नमक ही खाये। आयोडीन नमक उच्च रक्तचाप, थाइराइड, लकवा और पौरुष कमज़ोरी का प्रमुख कारण है।
नमक के कारण ही शरीर में गुर्दे और लीवर की समस्याएं पैदा हो जाती हैं। यह पेट और आंतों के बहुत नर्म भागों पर अपना बुरा प्रभाव डालता है। भोजन में नमक के ज्यादा इस्तेमाल से कैंसर, मोटापा, डायबिटीज, जुकाम, नींद न आना आदि रोग हो जाते हैं।
यह दिल की धड़कन और ब्लडप्रेशर को भी बढ़ाता है। इससे अम्लता (एसिडिटी) की शिकयत हो जाती है। नमक के अधिक प्रयोग से प्यास बढ़ जाती है क्योंकि यह पचता नहीं है। इसलिए शरीर नमक को पानी में घोलकर बाहर करता है।
इस बात की विशेष सावधानी रखे की फल, सलाद, अंकुरित, रस, दही आदि प्राकृतिक खाद्यों में नमक का प्रयोग बिल्कुल न करें, क्यूँकि ये ज़हर के समान है।
दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आओडीन युक्त नमक 40 साल पहले ban कर दिया अमेरिका मे नहीं है जर्मनी मे नहीं है फ्रांस मे नहीं, डेन्मार्क मे नहीं, यही बेचा जा रहा है डेन्मार्क की सरकार ने 1956 मे आओडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों ??
उनकी सरकार ने कहा हमने मे आओडीन युक्त नमक खिलाया। (1940 से 1956 तक) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए। जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया।
उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया और शुरू के दिनो मे जब हमारे देश मे ये आयोडीन का खेल शुरू हुआ।
इस देश के बेशर्म नेताओ ने कानून बना दिया कि बिना आओडीन युक्त नमक बिक नहीं सकता भारत मे वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट मे मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।
अंत आपके मन मे एक और सवाल आ सकता है कि ये सेंधा नमक बनता कैसे है??
तो उत्तर ये है कि सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’ ,लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है। जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’।
वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है !! वहाँ से ये नमक आता है! मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है ।
इससे पाचक रस बढ़्ते हैं। तों अंत आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले ! काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे !! क्यूंकि ये प्रकृति का बनाया है ईश्वर का बनाया हुआ है !! और सदैव याद रखे इंसान जरूर शैतान हो सकता है लेकिन भगवान कभी शैतान नहीं होता !!
सफेद नमक या समुद्री नमक के नुकसान
ज्यादा नमक खाने से क्या होता है – आयुर्वेद में कहा गया है कि नमक पित्त को खराब करने वाला, भारी, गर्म, अधिक प्यास उत्पन्न करने वाला, हाई बीपी की समस्या होने से गुस्सा, उत्तेजना पैदा करने वाला होता है।
अमेरिकी कैंसर अनुसंधान शाला के सदस्य डॉ. फ्रेडरिक एल. हाफमैन ने अपनी पुस्तक ‘कैंसर और आहार’ में लिखा है, ‘नमक खाने से शरीर में विद्यमान पोटैशियम नष्ट होते हैं और इसके अभाव में एवं नमक का निष्कासन न होने से कैंसर की उत्पत्ति होती है।
नमक के अधिक होने से शरीर में एसिड की मात्रा को बढ़ाती है, क्योंकि क्लोराइड के कारण हाइड्रोक्लोरिक एसिड का निर्माण होता है। इस अम्ल की अधिकता से पेट में अल्सर हो सकता है।
अधिक नमक खाने वालों को पसीना अधिक आता है और प्यास भी अधिक लगती है।
रक्त में नमक की अधिकता से रक्त गाढ़ा हो जाता है, जिससे रक्त संचार में बाधा पड़ती है। नमक की उपस्थिति से खराब द्रव्य शरीर के बाहर कठिनाई से निकल पाते हैं।
आजकल उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, लिवर व गुर्दे के विकार, त्वचा रोगों के तेजी से बढ़ने का कारण मुख्य रूप से नमक के अति सेवन की आदत ही है।
ज्यादा नमक के सेवन से मोटापा बढ़ सकता है।
शरीर में नमक के ज्यादा होने से टखने में सूजन, हड्डियां पतली होने की बीमारी होने की संभावना हो जाती है जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा भी बढ़ जाता है।
अधिक नमक के सेवन से हृदय की धड़कन, खुजली, रक्त में लौह तत्व की कमी, पथरी की तकलीफ, मुंहासे, गंजापन, नींद का कम आना, फोड़े-फुंसियां, झाइंयां, हड़ियां कमजोर होना।
मांसपेशियों का लचीलापन कम होना, उन्हें संकुचित करना, पाचन-शक्ति का कमजोर होना, अनिद्रा की तकलीफ, अम्लता (एसिडिटी) की तकलीफ़, अंगों में जल का जमाव बढ़ना जिससे सूजन, दर्द और मोटापा बढ़ाने जैसी तकलीफें पैदा करता है।
शरीर में ज्यादा नमक की मात्रा से निर्जलीकरण यानी डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है।
रक्त में ज्यादा नमक होने पर किडनी को खून फिल्टर करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। जिसकी वजह से किडनी से जुड़ी बीमारियां हो सकती है।