हमारे हिन्दू समाज में कई मालाओं को धारण किया जाता है। जिनकी धार्मिक धारणाएं होती है। इन सभी मालाओं में एक है वैजयंती माला। वैजयंती फूलों का बहुत ही सौभाग्यशाली वृक्ष होता है।
वैजयंती माला के सम्बन्ध में प्राचीन ग्रन्थों काफी महिमा का बखान किया गया है। यह माला धरा ने श्रीकृष्ण को भेंट में दी थी, अतः श्रीकृष्ण को यह माला अत्यन्त प्रिय थी। यह माला वैजयंती के बीजों से बनती है।
वैजयंती माला का पूजा-पाठ, यज्ञ, हवन, तन्त्र व सात्विक साधनों में प्रयोग किया जाता है।
वैजयंती माला को धारण करने वाला इंद्र के समान सारे वस्त्रों को जीतने वाला बन जाता है।
श्रीकृष्ण को यह माला अत्यन्त प्रिय थी, श्री कृष्ण के समान सभी को मोहित करने वाला बन जाता है। महर्षि नारद के समान विद्वान बन जाता है।
इस सिद्ध माला को धारण करने वाला हर जगह विजय प्राप्त करता है। उसके सर्व कार्य अपने आप बनते चले जाते हैं।
बता दें वैजयंती माला को सिद्ध करने के लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए। पूरा फल पाने के लिए जरूरी है कि माला सही विधि-विधान से प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही पहनी चाहिए।
वैजयंती माला धारण की विधि-शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार को स्नान-ध्यान करके ‘ऊं नमः भगवते वासुदेवाय’ मन्त्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
फिर किसी मन्दिर में गरीबों को मीठा भोजन करायें उसके बाद इस माला को धारण करना चाहिए।
वैजयंती एक पौधा होता है इसमें लाल या पीले रंग के फूल खिलते है, ये फूल भगवान् कृष्ण को बहुत पसंद होते है, इस पौधे के फूलो से माला भी बनाई जाती है जिसे गले में धारण किया जाता है, आज हम आपको गले में वैजन्ती माला पहनने के कुछ फायदों के बारे में बताने जा रहे है।
भगवान ने फूलों को इसलिए नहीं बनाया है कि वह खिले और अगले दिन मुरझाकर खत्म हो जाए। फूल इसलिए भी नहीं हैं कि आप उन्हें भगवान के ऊपर चढ़ाकर अगले दिन निर्माल बनाकर फेंक दें। फूलों में भी बड़ी चमत्कारी शक्तियां होती हैं जो आपकी किस्मत बदल सकती है।
ग्रह दोषों को दूर करता है वैजयंती का फूल भगवान श्री कृष्ण को जो फूल सबसे पसंद है वह है वैजयंती। कई कथाओं में उल्लेख मिलता है कि भगवान श्री कृष्ण वैजयंती की माला धारण किए रहते हैं।
इस माला के अपमान के कारण इन्द्र से लक्ष्मी रुठ गई और देवराज इन्द्र को दर दर भटकना पड़ा। वैजयंती फूल के विषय में कहा गया है कि यह बहुत ही सौभाग्यशाली वृक्ष होता है।
इसके बीजों की माला धारण करने से ग्रह दोषों से बचाव होता है। मंत्र साधना में भी इसकी माला बहुत ही लाभप्रद मानी जाती है। मान्यता है कि पुष्य नक्षत्र में वैजयंती के बीजों की माला धारण करना बहुत ही शुभ फलदायक होता है।
जो व्यक्ति अपने गले में वैजन्ती माला पहनता है तो उसके जीवन में कभी भी धन और सुख समृद्धि की कमी नहीं होती है।
अगर आप अपने गले में वैजन्ती माला पहनना चाहते है तो इसे हमेशा सोमवार या शुक्रवार के दिन ही पहने और इसे पहनने से पहले गंगाजल से धोकर पवित्र कर ले और फिर धारण करे।
अगर आपके अंदर आत्मविश्वास की कमी है तो आपको अपने गले में वैजन्ती माला पहननी चाहिए, इस माला को गले में पहनने से आत्मविश्वस बढ़ता है।
इस माला को गले में धारण करने से मानसिक शांति मिलती है, और मन कभी भी अशांत नहीं रहता है। भगवान कृष्ण को वैजन्ती माला बहुत पसंद होती है, इसलिए अगर आप उन्हें वैजन्ती माला चढ़ाते है तो इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है।
यदि किसी लड़का या लड़की के विवाह में लगातार बाधा आ रही है तो वैजयंती माला से ‘ऊं नमः भगवते वासुदेवाय’ मन्त्र की कम से एक माला का नित्य जाप करें और केले के पेड़ पूजन करें।
ऐसा करने से विवाह में आ रही हर प्रकार की बाधा दूर हो जाती है और जातक का शीघ्र विवाह सम्पन्न हो जाता है।
वैजयंती माला को धारण करने से सम्मान में वृद्धि होती है, कार्यो में सफलता मिलती है और मानसिक सुकून प्राप्त होता है।
यदि बच्चों को परीक्षा से पहले भय लगता है तो बच्चों को एक वैजयंती माला पहनाने से लाभ मिलता है।
जिन व्यक्तियों का मन लगातार परेशान रहता है या किसी कार्य में मन नहीं लगता है। तो ऐसे व्यक्तियों को मंगलवार के दिन वैजयंती माला पहनाने से मन शान्त रहता है ।
वैजयंती माला से ‘ऊं नमः भगवते वासुदेवाय’ मन्त्र का 2100 बार जाप करके गले में पहन लेने से समस्याओं का निराकरण हो जाता है।
वैजयन्ती माला को किसी शुभ मुहूर्त श्रीकृष्ण जी का ध्यान करके पहनने से शरीर में नई स्फूर्ति व आनन्द का संचार होता है। व्यक्ति में धैर्य व साहस बना रहता है।
मान्यता है कि पुष्य नक्षत्र में माला धारण करना बहुत ही शुभ फलदायक है। इस माला को धारण करने के बाद ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव खत्म हो जाता है, खासकर शनि का दोष समाप्त हो जाता है।