आभूषण | Ornaments

दुनियाभर के बड़े-बड़े अन्वेषक (Inventor) तथा विज्ञानवेत्ता (Philosopher) भी हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों-ब्रह्मवेत्ताओं एवं पूर्वजों द्वारा प्रमाणित अनेक तथ्यों एवं रहस्यों को नहीं सुलझा पाये हैं पाश्चात्य जगत के लोग भारतीय संस्कृति के अनेक सिद्धान्तों को व्यर्थ की बकवास बोलकर कुप्रचार करते थे लेकिन अब वे ही शीश झुकाकर उन्हें स्वीकार कर किसी-न-किसी रूप में मानते भी चले जा रहे हैं।

भारतीय समाज में स्त्री-पुरुषों में Ornaments (आभूषण) पहनने की परम्परा प्राचीनकाल से चली आ रही है और ये आभूषण धारण करने का अपना एक महत्त्व है जो शरीर और मन से जुड़ा हुआ है स्वर्ण के आभूषणों (Ornaments) की प्रकृति गर्म है तथा चाँदी के गहनों की प्रकृति शीतल है यही कारण है ग्रीष्म ऋतु में जब किसी के मुँह में छाले पड़ जाते हैं तो प्रायः ठंडक के लिए मुँह में चाँदी रखने की सलाह दी जाती है इसके विपरीत सोने का टुकड़ा मुँह में रखा जाये तो गर्मी महसूस होगी।

करवा चौथ व्रत सुहागन महिलाओं के लिए विशेष होता है। करवाचौथ पर हर सुहागन दुल्हन की तरह सजती और सवरती है, इसके पीछे भी कई मान्यताएं है। इस दिन 16 श्रृंगार का बेहद महत्व होता है. आइए जानते है कि कौन-कौन से हैं 16 श्रृंगार, जो करवाचौथ पर किए जाते है।

आइए जाने 16 शृंगार की क्या है

1. मांग टीका – मांग टीका जब तक माथे पर न सजे, दुल्हन भी दुल्हन नहीं लगती है. मांग टीका आपके मुखमंडल की शोभा को इतना बढ़ा देता है, कि हर नजर आप पर आकर यूं ही टिक जाती है. आजकल बाजार में एक से बढ़कर एक प्रकार और डिजाइन में मांग टीके उपलब्ध हैं, जिनमें कुंदन, स्टोन, मोती, मीनाकारी और फूलों से बने मांगटीके प्रमुख हैं. आप चाहें तो राजस्थानी रखड़ी से भी राजवाड़ी दिख सकती हैं।

2. नथनी – नथनी, जिसे नथ भी कहा जाता है, आपके चेहरे की रौनक को बढ़ाने में बेहद खास भूमिका अदा करती है. मांग टीका और नथनी मिलकर आपके चेहरे की रौनक को इतना बढ़ा देते हैं, कि आपके ”वो” अगर चाहें भी तो आपसे नजर नहीं हटा सकते. तो फिर नथनी से दुल्हन की तरह अपने चेहरे की रौनक बढ़ जाती है।

3. कर्णफूल – आज के समय में इन्हें बोलचाल की भाषा में ईयरिंग्स कहा जाता है. आप चाहें तो पारंपरिक झुमके या फिर लटकन पहन सकती हैं. इसके अलावा सेट के साथ या फिर अपने परिधान से मिलते-जुलते कर्णफूल आपकी खूबसूरती को चार चांद लगा देंगे।

4. बिंदी – बिंदी के बिना सुहागन का श्रृंगार अधूरा-सा लगता है. करवाचौथ के दिन पिया के नाम की बिंदी जरूर लगाइए. माथे पर चांद सी दमकती बिंदिया आपकी आभा का निखारने में कोई कसर नहीं छोड़ती है. बिंदी आपके पिया को करीब होने का एहसास दिलाती है।

5. सिंदूर – मांग में सिंदूर के बिना सुहागन के सभी श्रृंगार व्यर्थ हैं. आप उनकी सुहागन हैं, इस बात का प्रतीक है आपकी मांग का सिंदूर. आपके पिया के सौभाग्य रूप में धरती पर होने का संदेश है आपका सिंदूर. रोजाना भले ही आप नियम से अपनी मांग में सिंदूर भरती हैं, लेकिन करवाचौथ का सिंदूर बेहद खास होगा. पारंपरिक दुल्हन बनने की ख्वाहिश हो तो आप इसे अपनी मांग में पिया की लंबी उम्र की तरह ही लंबा भर सकती हैं. उन्हें आपसे दोबारा प्रेम हो जाएगा।

6. काजल – कजरारे नैनों का जादू जब पिया पर चल जाए, फिर दोबारा मोहब्बत से भला कौन रोक पाएगा. आंखों से ही आपके मन के भावों की अभिव्यक्ति होती है. जब बात हो जीवनसाथी की, तो भावों की अभिव्यक्ति जितने सुंदर तरीके से दी जाए उतना ही प्रेम बढ़ता है. तो करवाचौथ पर कजरारे नैनों से प्रेम का जादू बिखेरना बिल्कुल न भूलिए।

7. हार – गले के श्रृंगार के लिए आप अपना पारंपरिक हार पहन सकती हैं. इसके अलावा रानी हार, मोती और कुंदन जड़ित हार के सेट भी बाजार में उपलब्ध है, जो आपके परिधान के अनुसार सौंदर्य को बढ़ा सकते हैं. अगर आप गहनों से लदना नहीं चाहती, तो फूलों से बने गहने आपके लिए बिल्कुल आरामदायक और खूबसूरत रहेंगे।

8. गजरा – काले, घने और लंबे बाल नारी की सुंदरता को कई गुना बढ़ा देता है. हर किसी का दिल जीतने के लिए काले बालों पर यह सफेद गजरा काफी है. आप भी नहीं जानती कि आप इसे लगाने के बाद कितनी आकर्षक लग रही होंगी. आप चाहें तो जूड़ा बनाएं, चोटी बनाएं या फिर बालों को खुला रखें, इस दिन गजरे से शोभा बढ़ाना न भूलें।

9. मंगलसूत्र – पिया के नाम का मंगलसूत्र सोलह श्रृंगार का सबसे अहम हिस्सा है. यह मंगलसूत्र है तो नारी के लिए सारे साज-श्रृंगार हैं, अगर नहीं है तो सब सूना है.आप चाहें तो अपने फेरों का मंगलसूत्र पहन सकती हैं, या फिर बाजार में कई तरह के डिजाइनर मंगलसूत्र भी उपलब्ध हैं. क्योंकि एक मंगलसूत्र ही अकेला जीवन के संपूर्ण श्रृंगार का बखान करता है।

10. अंगूठी – कलाइयों की सुंदरता जिस तरह से चूड़ी और कंगन से पूरी होता है, वैसे ही अंगुलियों का श्रृंगार अंगूठियों से ही पूरा होता है. आप चाहें तो दुल्हन बन हाथफूल भी पहन सकती हैं. सोना, चांदी, हीरा, मोती व कुंदन की अंगूठियां भी हाथों के सौंदर्य को खूब बढ़ाएंगी।

11. कमरबंद – कमर की खूबसूरती बढ़ाने और आपको सेक्सी दिखाने में कमरबंद आपकी बहुत मदद करेगा. अगर आपकी कमर पतली है, तो इसे जरूर पहनें. अगर आप थोड़ी मोटी भी हैं, तो कोई बात नहीं, कमरबंद आप पर भी खूब जंचेगा।

12. बिछिया – बिछिया भी सुहागन स्त्री का प्रतीक है. कुछ भी कहो, इसके बिना सुहागन के पैरों की रौनक ही गायब होती है. करवाचौथ पर सादगी भरी बिछिया पहनने के बजाए, घुंघरु व चेन वाले सुंदर बिछिया से पैरों को सजाएं. कुंदन, हीरा व मोती वाली बिछिया भी आप पहन सकती हैं, और अपने परिधान से मिलती-जुलती है।

13. पायल – पतली पायल हो या मोटी पायजेब, आपके पैरों की खूबसूरती को ही नहीं बढ़ाती बल्कि इनके घुंघरुओं की मीठी सी छनक, आपके पतिदेव का दिल भी धड़काती हैं. तो करवाचौथ पर इसकी छनक से पिया का दिल जीतना मत भूलिएगा।

14. मेंहदी – जब तक हथेली पर पिया के नाम की मेंहदी न लगे, तब तक दुल्हन का रंग फीका ही रहता है. और मेंहदी का रंग जितना गहरा हो, उतना ही प्रेम को दर्शाता है. तो करवाचौथ पर दिल से लगाइए पिया के नाम की मेंहदी और निखारिए उसका रंग, इसके लिए चाय पत्ती का पानी, लौंग का धुंआ, तेल वगैरह का भी प्रयोग होता है. इन तरीकों को आप भी आजमाइए, क्योंकि पिया के प्रेम का प्रतीक जो है, वो है रंगत भरी मेंहदी।

15. चूड़ि‍यां – हाथों में चूड़ियों की खनक, न केवल पति-पत्नी के प्रेम की ओर संकेत करती हैं, बल्कि मन को प्रफुल्ल‍ित भी रखती हैं. बेशक आपके पिया को भी बेहद पसंद होगी आपकी चूड़ियों की यह खनक. तो फिर खूबसूरत, खनकती चूड़ियों को पहनने में कोई कोताही नहीं रखिएगा।

16. परिधान – खास तौर से साड़ी, लहंगा या कोई पारंपरिक परिधान आपके करवाचौथ को खास बनाने का काम करेगा. आप अगर चाहें तो अपनी शादी का जोड़ा पहनकर, सुहानी यादों को ताजा कर सकती हैं।

आभूषण पहनने का वैज्ञानिक कारण महत्त्वपूर्ण तथ्यों के साथ :

चूँकि स्त्रियों पर सन्तानोतपत्ति का भार होता है उसकी पूर्ति के लिए उन्हें आभूषणों द्वारा ऊर्जा व शक्ति मिलती रहती है सिर में सोना और पैरों में चाँदी के आभूषण (ornament) धारण किये जायें तो सोने के आभूषणों से उत्पन्न हुई बिजली पैरों में तथा चाँदी आभूषणों से उत्पन्न होने वाली ठंडक सिर में चली जायेगी क्योंकि सर्दी गर्मी को खींच लेती है इस तरह से सिर को ठंडा व पैरों को गर्म रखने के मूल्यवान चिकित्सकीय नियम का पूर्ण पालन हो जायेगा।

यदि इसके विपरीत यदि सिर चाँदी के तथा पैरों में सोने के गहने पहने जायें तो इस प्रकार के गहने धारण करने वाली स्त्रियाँ पागलपन (Madness) या किसी अन्य रोग की शिकार बन सकती हैं अर्थात सिर में चाँदी के व पैरों में सोने के आभूषण कभी नहीं पहनने चाहिए। प्राचीन काल की स्त्रियाँ सिर पर स्वर्ण के एवं पैरों में चाँदी के वजनी आभूषण धारण कर दीर्घजीवी,स्वस्थ व सुन्दर बनी रहती थीं।

यदि सिर और पाँव दोनों में स्वर्णाभूषण (Jewelery) पहने जायें तो मस्तिष्क एवं पैरों में से एक समान दो गर्म विद्युत धारा प्रवाहित होने लगेगी जिसके परस्पर टकराव से जिस तरह दो रेलगाड़ियों के आपस में टकराने से हानि होती है वैसा ही असर हमारे स्वास्थ्य (Health) पर भी होगा।

जिन धनवान परिवारों की महिलाएँ केवल स्वर्णाभूषण ही अधिक धारण करती हैं तथा चाँदी पहनना ठीक नहीं समझतीं वे इसी वजह से स्थायी रोगिणी रहा करती हैं।

विद्युत का विधान अति जटिल है तनिक सी गड़बड़ में परिणाम कुछ-का-कुछ हो जाता है, यदि सोने के साथ चाँदी की भी मिलावट कर दी जाये तो कुछ और ही प्रकार की विद्युत बन जाती है, जैसे गर्मी से सर्दी के जोरदार मिलाप से सरसाम हो जाता है तथा समुद्रों में तुफान उत्पन्न हो जाते हैं उसी प्रकार जो स्त्रियाँ सोने के पतरे का खोल बनवाकर भीतर चाँदी,ताँबा या जस्ते की धातुएँ भरवाकर कड़े, हंसली आदि आभूषण (ornament) धारण करती हैं वे हकीकत में तो बहुत त्रुटि करती हैं। वे सरेआम रोगों एवं विकृतियों को आमंत्रित करने का कार्य करती हैं।

आभूषणों में किसी विपरीत धातु के टाँके से भी गड़बड़ी हो जाती है अतः सदैव टाँकारहित आभूषण (Stitch-free jewelery) पहनना चाहिए अथवा यदि टाँका हो तो उसी धातु का होना चाहिए जिससे गहना बना हो।

पैरों, नाक और कानों में आभूषण पहनने के चमत्कारी फ़ायदे :

नाक और कानों में बालियाँ अथवा झुमके : विद्युत सदैव सिरों तथा किनारों की ओर से प्रवेश किया करती है। अतः मस्तिष्क के दोनों भागों को विद्युत के प्रभावों से प्रभावशाली बनाना हो तो नाक और कान में छिद्र करके सोना पहनना चाहिए कानों में सोने की बालियाँ अथवा झुमके आदि पहनने से स्त्रियों में मासिक धर्म संबंधी अनियमितता कम होती है, हिस्टीरिया रोग में लाभ होता है तथा आँत उतरने अर्थात हार्निया को रोग नहीं होता है।

नाक में नथुनी : नाक में नथुनी धारण करने से नासिका संबंधी रोग नहीं होते तथा सर्दी-खाँसी में राहत मिलती है।

पैरों की अँगुलियों में चाँदी की बिछिया : पैरों की अँगुलियों में चाँदी की बिछिया पहनने से स्त्रियों में प्रसवपीड़ा कम होती है, साइटिका रोग (Sciatica disease) एवं दिमागी विकार दूर होकर स्मरणशक्ति में वृद्धि होती है।

पैरों में पायल : पायल पहनने से पीठ, एड़ी एवं घुटनों के दर्द में राहत मिलती है हिस्टीरिया (Hysteria) के दौरे नहीं पड़ते तथा श्वास रोग की संभावना दूर हो जाती है इसके साथ ही रक्तशुद्धि होती है तथा मूत्ररोग की शिकायत नहीं रहती।

सबसे ज़्यादा आभूषण पहनने वाली रेबारी जाती के लोग इसका सबूत है :

आपको पता होगा की राजस्थान की रेबारी जाती के लोग जो देश के सभी राज्यो में अपने पशुओ भेड़-ऊँट को उनके पालन पोषण के लिए घूमते रहते है क्योंकि राजस्थान का अधिकतर भाग रेतीला है जहाँ हरियाली का आभाव है उस रेबारी जाती के पुरुष और औरतो के आभूषण इतने होते है की शायद हम कल्पना भी नही कर सकते, चाँदी के आभूषण 4-5 किलो और सोना तो 20-30 तोला पहनते है, यही कारण है वो लोगो बहुत की कम बीमार होते है तथा भारत का भ्रमण किसी वाहन से ही नही बल्कि पैदल यात्रा से ही करते है। तो आपको अच्छे से समझ आ गया होगा की भारतीय संस्कृति में आभूषण को पहनना सिर्फ शोक के लिए नही है बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाली चिकित्सा है।