धन तेरस यह पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन कुछ नया खरीदने की परंपरा है। विशेषकर पीतल व चांदी के बर्तन खरीदने का रिवाज़ है।
मान्यता है कि इस दिन जो कुछ भी खरीदा जाता है उसमें लाभ होता है। धन संपदा में वृद्धि होती है। इसलिये इस दिन लक्ष्मी की पूजा की जाती है। धन्वंतरि भी इसी दिन अवतरित हुए थे इसी कारण इसे धन तेरस कहा जाता है।
देवताओं व असुरों द्वारा संयुक्त रूप से किये गये समुद्र मंथन के दौरान प्राप्त हुए चौदह रत्नों में धन्वन्तरि व माता लक्ष्मी शामिल हैं। यह तिथि धनत्रयोदशी के नाम से भी जानी जाती है।
इस दिन लक्ष्मी के साथ धन्वन्तरि की पूजा की जाती है। दीपावली भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। दीपोत्सव का आरंभ धनतेरस से होता है। जैन आगम (जैन साहित्य प्राचीनत) में धनतेरस को ‘धन्य तेरस’ या ‘ध्यान तेरस’ कहते हैं।
मान्यता है, भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे। तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुये दीपावली के दिन निर्वाण (मोक्ष) को प्राप्त हुये। तभी से यह दिन जैन आगम में धन्य तेरस के नाम से प्रसिद्ध हुआ। धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
दीवाली से पहले धनतेरस का त्योहार आ रहा है। धनतेरस का त्योहर इस साल 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा। हिन्दू धर्म की मान्याताओं के अनुसार इस शुभ दिन मां लक्ष्मी घर आती हैं और सब पर अपनी कृपा बरसाती हैं। धनतेरस के दिन खरीदारी करने का बड़ा महत्व होता है।
धनतेरस के दिन इन 5 चीजों को खरीदना काफी शुभ माना जाता है
धनिया लक्ष्मी पूजा के लिए : इस दिन धनिया के बीज खरीदने की भी परंपरा होती है। धनतेरस पर धनिया खरीदना बहुत शुभ माना जाता है. इसे समृद्धि का प्रतीक बताया गया है। लक्ष्मी पूजा के समय धनिया के बीज लक्ष्मी मां को चढ़ाएं और पूजा के बाद किसी बर्तन या बगीचे में धनिया के बीज बो दें. कुछ बीज गोमती चक्र के साथ अपनी तिजोरी में रखें।
सोना और चांदी के आभूषण : धनतेरस पर सोना-चांदी खरीदना शुभ माना जाता है। जरूरी नहीं कि आप धनतेरस पर ज्यादा महंगा आभूषण खरीदें। आप छोटे और सस्ते आभूषण भी खरीदकर घर ला सकते हैं।
आर्थिक तंगी के लिए झाड़ू : धनतेरस पर झाड़ू भी खरीदना भी अच्छा होता है। धनतेरस पर झाड़ू खरीदने का सांकेतिक अर्थ घर में तंगी और बलाओं को प्रवेश न करने देने से जुड़ा है।
बरकत के लिए चम्मच : अगर आप सोने-चांदी के आभूषण नहीं खरीद सकते हैं तो कोई बर्तन खरीद लीजिए। धनतेरस पर एक चम्मच खरीदना भी फलदायी माना जाता है। लेकिन इस चम्मच को अपनी बरकत समझकर नियमित तौर पर पूजा में शामिल करें. इससे आपकी समृद्धि में बढ़ोतरी होगी।
विवाहित महिला तोहफे में दें सोलह श्रृंगार : धनतेरस के दिन विवाहित महिलाओं को सोलह श्रृंगार का तोहफा देना शुभ माना जाता है। इसके अलावा लाल रंग की साड़ी और सिंदूर देना भी अच्छा माना जाता है। इससे भी लक्ष्मी मां प्रसन्न होती हैं।
धनतेरस पर क्यों खरीदे जाते हैं बर्तन?
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुंद्र मंथन से धन्वन्तरि प्रकट हुए। धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था।
भगवान धन्वन्तरी कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है। विशेषकर पीतल और चाँदी के बर्तन खरीदना चाहिए, क्योंकि पीतल महर्षि धन्वंतरी का धातु है।
इससे घर में आरोग्य, सौभाग्य और स्वास्थ्य लाभ होता है। धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर और यमदेव की पूजा अर्चना का विशेष महत्त्व है। इस दिन को धन्वंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है।
धनतेरस पर दक्षिण दिशा में दीप जलाने का क्या महत्त्व?
धनतेरस पर दक्षिण दिशा में दिया जलाया जाता है। इसके पिछे की कहानी कुछ यूं है। एक दिन दूत ने बातों ही बातों में यमराज से प्रश्न किया कि अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए यमदेव ने कहा कि जो प्राणी धनतेरस की शाम यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दिया जलाकर रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती।
इस मान्यता के अनुसार धनतेरस की शाम लोग आँगन में यम देवता के नाम पर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं। फलस्वरूप उपासक और उसके परिवार को मृत्युदेव यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है। विशेषरूप से यदि घर की लक्ष्मी इस दिन दीपदान करें तो पूरा परिवार स्वस्थ रहता है।
धनतेरस की पूजा विधि कैसे करे?
संध्याकाल में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। पूजा के स्थान पर उत्तर दिशा की तरफ भगवान कुबेर और धन्वन्तरि की मूर्ति स्थापना कर उनकी पूजा करनी चाहिए।
इनके साथ ही माता लक्ष्मी और भगवान श्रीगणेश की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि भगवान कुबेर को सफेद मिठाई, जबकि धनवंतरि को पीली मिठाई का भोग लगाना चाहिए। क्योंकि धन्वन्तरि को पीली वस्तु अधिक प्रिय है।
पूजा में फूल, फल, चावल, रोली, चंदन, धूप व दीप का इस्तेमाल करना फलदायक होता है। धनतेरस के अवसर पर यमदेव के नाम से एक दीपक निकालने की भी प्रथा है। दीप जलाकर श्रद्धाभाव से यमराज को नमन करना चाहिए।
धनतेरस के दिन इन चीजों को नही खरीदना चाहिए
लोहे की चीजे : धनतेरस पर लोहे से बनी चीजें नहीं खरीदना चाहिए। इस दिन लोहे से बनी चीजें घर पर लाने पर राहु ग्रह की अशुभ छाया पड़ जाती है। राहु की नजर पड़ते ही परेशानियां बढ़ने लगती हैं।
कांच के सामान : कांच के सामान का संबंध भी राहु ग्रह से होता है इसलिए धनतेरस के दिन कांच की चीजें नहीं खरीदनी चाहिए।
एल्युमिनियम के सामान : एल्युमिनियम के सामान भी धनतेरस के दिन नहीं खरीदना चाहिए। इसका संबंध भी राहु से होता है। धनतेरस के दिन काले रंग के कपड़े नहीं खरीदने चाहिए। काला रंग दुर्भाग्य का रंग माना जाता है।
तेल और घी : धनतेरस के दिन तेल या तेल के उत्पादों जैसे घी, रिफाइंड इत्यादि लाने के लिए मना किया जाता है। धनतेरस पर दीये जलाने के लिए भी तेल और घी की जरूरत पड़ती है इसलिए ये चीजें पहले से ही खरीद कर रख लें।