कुछ संक्रामक रोगों के कारण शरीर पर फोड़े-फुंसियां निकल आती हैं| प्रदूषित वातावरण भी फोड़े-फुंसियों को उत्पन्न करने का कारण बनता है| फोड़े-फुंसियों के निकलने पर उनमें खुजली-जलन होती है तथा रोगी बेचैनी महसूस करता है|

फोड़ा या फुंसी (Boil) एक त्वचा संक्रमण है| यह सटैफिलोकोकस व युस नामक जीवाणु के कारण होता है| फोड़ा या फुंसी (Boil) बाल कूप या तेल ग्रन्थियों से शुरु होता है|

सबसे पहले संक्रमित क्षेत्र की त्वचा लाल हो जाती है और वह त्वचा के अंदर एक गाठ बन जाती है| तीन से सात दिन बाद इसका मुह सफेद होने लगता है| क्योंकी त्वचा के निचे मवाद भरा हुआ है|

फोड़ा या फुंसी (Boil) उभरने के सबसे सामान्य स्थान चेहरा, गर्दन, बगल, कंधे और नितंबों पर होते है| वसे यह कहि भी और किसी भी उम्र मे और किसी भी व्यक्ति को हो सकता है| यदि त्वचा के किसी हिस्से में एक से अधिक फोड़ा या फुंसी (Boil) दिखाई देते है तो यह एक गंभीर संक्रमण है| जिसको कार्बाइनल कहते है|

फोड़ा या फुंसी के कारण

ये स्वास्थ्य समस्याए त्वचा की संक्रमण के लिए लोगों को अधिक संवेदनशील बनाती है

फोड़ा या फुंसी (Boil) एक त्वचा संक्रमण है जो बाल कूप या तेल ग्रन्थियों में शुरु होता है| सबसे पहले संक्रमण के क्षेत्र में त्वचा लाल हो जाती है

त्वचा के टूटने फटने के कारण, पपड़ी, सेविंग, प्रवेश बालो, कीटों के काटने या फिर शरीर की अन्य बीमारी भी फोड़े या फुंसी का कारण बन सकता है

उपरी त्वचा परतों में छोटे सतही रक्त वाहिकाओं के कुछ फैलाव हो सकते है जिससे त्वचा लाल या पिली दिख सकती है

घरेलू उपचार:

बरगद के पत्ते  : वट वृक्ष या बरगद के पत्तों को गर्म करके फोड़े वाली जगह पर बांधने से वह पककर फूट जाता है और उसकी कील भी निकल जाती है।

दही : इसके इस्तेमाल से भी फोड़े व फुंसी को ठीक किया जा सकता है। दही को फोड़े पर कुछ समय के लिए लगाकर छोड़ दें। ऐसा करने से जिस फोड़े का मुंह नहीं बन रहा होगा, वह भी पककर सूख जाएगा।

देसी घी : थोड़ी सी साफ रुई देसी घी में भिगोएं। अब उसे हथेली से दबाकर एक्स्ट्रा घी को निकाल लें। इसके बाद तवा गर्म करके उस पर रुई के फाहे को भी गर्म करें। जब रुई का फाहा हने लायक गर्म हो जाए, तो उसे बच्चे के फोड़े पर रखकर पट्टी बांध दें। सुबह-शाम इस विधि को करने से फोड़ा फूट जाएगा। यही विधि रुई के साथ सरसों का तेल लगाकर भी की जा सकती है। इससे भी आराम मिलेगा

आलू : कच्चे आलू का रस फुंसियों पर लगाएं तथा सुबह के समय निहार मुंह चार चम्मच रस पिएं|

गाजर और तेल: गाजर को पीसकर तवे पर जरा-सा तेल डालकर गरम करें| फिर इस पुल्टिस को फोड़े-फुंसियों पर बांध दें।

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इमली और पानी: फोड़े-फुन्सी में इमली का रस पीने से काफी लाभ होता है| 25-30 ग्राम इमली का गूदा पानी में भिगो दें| जब गूदा फुल जाए तो उसे पानी में मथकर इस शरबत को छानकर पी जाएं|

कालीमिर्च और पानी: यदि फुंसी निकली हो तो कालीमिर्च को पानी में घिसकर लगाएं| इससे फुन्सी बैठ जाती है|

अनन्नास : अनन्नास का रस फुंसियों पर रुई के फाहे से लगाएं|

हल्दी और तेल: हल्दी को पीसकर तवे पर जरा-सा तेल डालकर गरम करें| फिर उसे फाहे पर रखकर फुड़िया पर बांध दे|

अमरूद: अमरूद की तीन-चार पत्तियों को पानी में उबालकर पीस लें| फिर इस लेप को फोड़े पर लगाएं| फोड़ा जल्दी फूट जाएगा|

नीम: नीम की छाल का लेप फुंसियों पर लगाने से काफी लाभ होता है|