एक्जिमा रोग शरीर के किसी भी भाग में एक गोल आकार के दाने के रूप में पैदा हो जाता है। एक्जिमा में हर समय खुजली होती रहती है जो 2 तरह की होती है- सूखी और तर। दाद, खाज, खुजली एक गंभीर चर्म रोग है।
यदि समय से इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह त्वचा पर अपनी जड़ें जमा लेता है और कितना भी एंटी फ़ंगल क्रीम लगाएं, ठीक होने के कुछ दिन के बाद पुन: हो जाता है।
खासतौर से गुप्तांगों के आसपास यह तेज़ी से फैलता है। जब दाद के बाद काले निशान पड़ जाते हैं तो उसे एक्ज़िमा कहते हैं।
एक्जिमा होने के कारण
एक्जिमा शरीर में खून की खराबी के कारण होता है। एक्जिमा होने पर अगर तुरन्त ही इसकी चिकित्सा न कराई जाए तो ये बहुत तेजी से पूरे शरीर में फैलता है। कुछ लोगों में एक्जिमा सफाई नहीं रखने और भोजन में लापरवाही बरतने की वजह से कई सालों तक बना रहता है।
एक्जिमा से संक्रमित व्यक्ति के जख्म को छूने से दूसरे लोग भी एक्जिमा के शिकार हो जाते हैं। हाजमे की खराबी की वजह से कब्ज (गैस) बन जाने के कारण भी एक्जिमा हो जाता है। औरतों में मासिकधर्म से सम्बंधित रोगों के कारण भी एक्जिमा हो जाता है।
साबुन, चूना, सोडा, डिटर्जेंट आदि का ज़्यादा प्रयोग, कब्ज़, रक्त विकार, महिलाओं में मासिक धर्म की गड़बड़ी और किसी दाद, खाज, खुजली वाले व्यक्ति के कपड़े पहनने से यह रोग हो सकता है।
एक्जिमा होने के लक्षण
एक्जिमा रोग की शुरुआत में रोगी को तेज खुजली होती है। बार-बार खुजली करने पर उसके शरीर में छोटी-छोटी फुंसियां निकल आती हैं। इन फुंसियों में बहुत तेज जलन और खुजली होती है। फुंसियों के पक जाने पर उसमें से मवाद बहता रहता है। फुंसियों के जब जख्म बन जाते हैं तो उसमें से पूरी तरह मवाद बहने लगता है।
इस रोग में त्वचा पर छोटे-छोटे लाल दाने निकल आते हैं, इनमें खुजली होती है और खुजलाने के बाद जलन होती है। बाद में ये दाग़ के रूप में फैलने लगते हैं। यदि पूरे शरीर में एक्ज़िमा हो गया है तो बुखार भी आ सकता है।
एक्जिमा से कैसे बचें ?
जिन्हें दाद, खाज, खुजली हो गई है उन्हें सबसे पहले चाहिए कि नहाते वक़्त साबुन, शैंपू आदि का इस्तेमाल बंद कर दें। यदि ज़रूरी हो तो नहाने में ग्लिसिरीन सोप का इस्तेमाल करें। नहाने के बाद नारियल का तेल लगाएं।
यदि पुराना दाद, खाज, खुजली है तो एंटी फ़ंगल क्रीम का प्रयोग कुछ दिनों तक लगातार करें, आमतौर पर लोग एंटी फ़ंगल क्रीम लगाते हैं और थोड़ा ठीक होने पर लगाना बंद कर देते हैं, इससे दाद और ज़िद्दी हो जाता है।
कपड़े साफ़ करते वक्त अच्छी तरह धुल लेना चाहिए, उसमें डिटर्जेंट का थोड़ा सा भी अंश नहीं होना चाहिए। पूरी तरह सूख जाने के बाद ही पहनें।
एक्ज़िमा में समुद्र के पानी से नहाना श्रेयष्कर है।
नमक का सेवन बंद कर दें, यदि ज़रूरी हो तो बहुत कम मात्रा में नमक लें।
पानी में नीम के पत्तों को उबाल कर स्नान करने से आराम मिलता है और एक्ज़िमा के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
दाद, खाज, खुजली में खट्टे, चटपटे व मीठी चीज़ों के सेवन से बचें। जली कटी त्वचा का घरेलू उपचार
यदि खुजलाने के बाद उसमें से पानी निकलता है या पसीजता है तो उस पर पानी का प्रयोग न करें।
एक्जिमा के लिए घरेलू उपाय
प्याज के बीज का पेस्ट : प्याज के बीज अच्छे से पीसकर उसका पेस्ट बनाकर जहाँ-जहाँ एक्ज़िमा है वहाँ-वहाँ लेप करने से सिर्फ 8 से 10 सप्ताह में एक्जिमा जड़ से समाप्त हो जाता है।
प्याज बीज और निम्बू रस : प्याज के बीज को नींबू के रस के साथ पीसकर रोजाना 2 बार लगभग 2 महीने तक दाद पर लगाने से दाद बिल्कुल ठीक हो जाता है।
तिल तेल और कनेर की जड़ : 1 लीटर तिल के तेल में 250 ग्राम कनेर की जड़ को जलाकर छान लें। इस तेल में जड़ को डालकर काफी देर तक उबालने से जड़ जल जाती है। इस तेल को रोजाना साफ रूई से एक्जिमा पर सुबह और शाम लगाने से एक्जिमा कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाता है।
प्याज रस और सरसों तेल : हाथ-पैरों की जलन में प्याज का रस और सरसों के तेल बराबर मात्रा में मिलाकर मालिश करने से रोगी को रोग में जल्द लाभ मिलता है।
भुना हुआ प्याज : प्याज को आग में भूनकर गर्म-गर्म ही गिल्टी (गांठों) और फोड़ों-फुसियों पर बांधने से वे फूट जाती हैं और उनका मवाद बाहर आ जाता है। इससे सूजन, जलन, दर्द आदि भी ठीक हो जाते हैं और जख्म भी जल्दी भर जाते हैं। इन्फेक्शन (संक्रमण) का जख्म भी नहीं रहता है। एक भाग प्याज के रस को 4 भाग पानी में मिलाकर सड़े हुए, मवाद से भरे हुए जख्म को धोने और बाद में इसी घोल में भीगा हुआ (कपड़ा) जख्म पर बांधने से जख्म ठीक हो जाता है। यह खून को साफ करता है और कीटाणुओं को मारकर खुजली को मिटाता है। प्याज को कच्चा या पकाकर खाने से त्वचा का पीलापन और मुरझायी हुई त्वचा अच्छी और चमकदार हो जाती है।
प्याज का रस : चेहरे के काले दागों पर प्याज का रस लगाने से दागों का कालापन दूर होता है और चेहरे की चमक बढ़ती है।
गर्म प्याज का रस : हाथ-पैरों का ऐंठन या अकड़न दूर करने के लिए प्याज का रस निकालकर गर्म करके गर्म-गर्म रस को पैरों के तलवों पर मालिश करने से अकड़न ठीक हो जाती है।
कच्चा प्याज : बिवाइयां (पैरों की एड़ियों का फटना) के लिए कच्चा प्याज पीसकर एड़ियों पर बांधने से फटी एड़ियां ठीक हो जाती हैं।
कुटकी और चिरायता : कुटकी और चिरायता को हल्का सा गर्म करके इससे एक्जिमा ग्रस्त भाग को साफ करने से लाभ होता है। 5-5 ग्राम कुटकी और चिरायता को किसी कांच के बर्तन में भरकर रख दें। फिर उसमे रात के समय 100 मिलीलीटर पानी को डाल दें। सुबह उठने पर इस पानी को छानकर पीने से एक्जिमा कुछ ही समय में समाप्त हो जाता है। बाकी बचे चिरायता और कुटकी को रात को सोने से पहले पानी में डालकर रख दें। सुबह उठने पर उसे छानकर पीने से खून साफ हो जाता है।
नीम : नीम के गुलाबी पत्ते लेकर तेल में काफी देर तक पकाएं। इस तेल को एक्जिमा पर लगाने से बहुत आराम आता है। नीम के कोमल पत्तों का रस निकालकर उसमें थोड़ी सी मिश्री मिलाकर पीने से खून साफ होकर खून की खराबी से होने वाले सारे रोग दाद, खुजली, फुंसियां आदि नष्ट हो जाते हैं। नीम के पत्तों को पानी में उबालकर एक्जिमा को साफ करें। फिर उस जगह पर नींबू का रस और तुलसी के पत्तों को पीसकर लेप करने से एक्जिमा रोग ठीक हो जाता है।
नारियल तेल और कपूर : नारियल के तेल और कपूर को अच्छी तरह मिलाकर एक्जिमा वाले स्थान पर लगाने से एक्जिमा का रोग दूर हो जाता है।
जीरा और मिश्री : 1 ग्राम भुने हुए जीरे को 10 ग्राम मिश्री के साथ पीसकर और नींबू के रस के साथ मिलाकर रोजाना सुबह और शाम पीने से एक्जिमा रोग कुछ ही समय में ठीक हो जाता है।
एक्जिमा में आवश्यक परहेज़
एक्जिमा रोग में रोगी को खून साफ करने वाली औषधियों का प्रयोग करना चाहिए। एक्जिमा रोग में रोजाना नीम के साबुन से या पानी में थोड़ा डिटोल डालकर नहाना चाहिए। एक्जिमा रोग में रोगी को भोजन में खट्टी-मीठी चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।