- गला जहाँ से शुरू होता है वहीं प्रवेश द्वार पर एक लोरी होती है माँस के छोटे, पतले व लंबे टुकड़े की भांति, इसे घाटी भी कहते हैं। इसमें जब सूजन आ जाता है तो इसे टांसिल या घाटी बढ़ना कहते हैं। देखने में छोटा यह लोरी जैसा माँस का टुकड़ा शरीर की सारी क्रियाओं को संतुलित करता है, जब इस लोरी में असंतुलन पैदा होता तो शरीर के पंचतत्वों में भी असंतुलन पैदा होने लगता है और इसकी वजह से कई प्रकार के रोग जन्म लेने लगते हैं। छोटे बच्चों में टांसिल्स या घाटी बढ़ जाने की वजह से वह कुछ पिलाने पर उल्टी कर देते हैं।
- पहले गांवों में कुछ ऐसी वैद्य महिलाएं होती थीं जो राख से घाटी को दबाकर ठीक कर देती थीं। लेकिन अब कोई यह जोखिम नहीं लेता है और चिकित्सक की सलाह पर दवा करना ज़्यादा पसंद करता है। आइए टांसिल के बारे में सही जानकारी प्राप्त करते हैं।
➡ टांसिल्स के प्रकार :
- टांसिल्स दो तरह के होते हैं।
- पहले प्रकार में दोनों तरफ़ या एक तरफ़ के टांसिल में सूजन आता है और वह सुपारी की तरह मोटा हो जाता है। उसके बाद उपजिह्वा में भी सूजन होकर वह रक्त वर्ण की हो जाती है। धीरे-धीरे यह खाने-पीने की नली को भी संक्रमित कर देता है और कुछ भी खाने-पीने में दर्द होता है। यह दर्द कान तक फैल जाता है। इस अवस्था में 103 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा बुखार चढ़ सकता है, जबड़े में दर्द हो सकता है तथा मुंह पूरा खुलता नहीं है। ऐसी स्थिति में यदि समय पर उचित इलाज न मिला तो टांसिल पक कर फूट सकता है। www.allayurvedic.org
- दूसरे तरह के टांसिल क्रोनिक होते हैं। जिसे बार-बार टांसिल्स की बीमारी होती हैं, वह क्रोनिक हो जाती है। टांसिल का आकर बड़ा हो जाता है और सांस लेने व छोड़ने में तकलीफ़ होने लगती है।
➡ टांसिल के मुख्य कारण :
- – चावल, मैदा, ठंडे पेय पदार्थ, खट्टी चीज़ों का ज़्यादा सेवन टांसिल्स का मुख्य कारण है।
- – मौसम में अचानक परिवर्तन, गर्मी से अचानक ठंडे मौसम में आ जाना व सर्दी लगने से भी टांसिल्स हो सकते हैं।
➡ टांसिल के लक्षण :
- टांसिल होने पर ठंड लगने के साथ बुखार चढ़ता है। कुछ भी खाने-पीने में तकलीफ़ होती है और उसका स्वाद नहीं मिलता है। गले में तेज़ दर्द होता है, यहाँ तक कि थूक निगलने में भी दिक्कत होती है ।
➡ टांसिल के घरेलू उपचार :
- – टांसिल यदि हो गया है तो गर्म पानी में नमक डालकर गरारा करने से लाभ मिलता है, सूजन कम हो जाती है।
- – दालचीनी या तुलसी की मंजरी का एक चुटकी चूर्ण, मधु में मिलाकर दिन में नियमित तीन बार सेवन करने से आराम मिलता है।
- – एक चम्मच अजवायन एक गिलास पानी में उबाल लें और उसे ठंडा करके गरारा करने से लाभ होगा। www.allayurvedic.org
- – हल्दी का चूर्ण दो चुटकी व काली मिर्च का चूर्ण आधी चुटकी लेकर एक चम्मच अदरक के रस में मिलाकर आग पर गर्म कर लें। रात को सोते समय मधु में मिलाकर इसका सेवन करें। नियमित दो-तीन दिन के प्रयोग से ही टांसिल का सूजन चला जाता है।
- – पानी में सिंघाड़ा उबाल लें और उसी पानी से कुल्ला करें। लाभ मिलेगा।
➡ सावधानी :
- टांसिल्स की समस्या है तो बिना नमक की उबली हुई सब्ज़ियों का प्रयोग करना चाहिए। मिर्च-मसाला, तेल, खट्टी व ठंडी चीज़ों के सेवन से परहेज़ करना चाहिए।