हर रोज 10 मिनट योग करना हड्डियों के द्रव्यमान और उसकी गुणवत्ता को सुधारता है। अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में रिहैबिलिटेटिव मेडिसिन के विशेषज्ञ लोरेन फिशमैन के अनुसार योग के दौरान शरीर अपना वजन गुरुत्वाकर्षण बल के विपरीत उठाता है, जिससे हड्डियों पर कम बोझ पड़ता है। यह तन व मन दोनों में संतुलन बनाता है। तनाव कम होता है। चोटिल होने की आशंका घटती है। द हिमालयाज के आनंदा में योग प्रमुख संदीप अग्रवाला कहते हैं, ‘अन्य वजन उठाने वाले व्यायाम की तुलना में योग जोड़ व कार्टिलेज को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता।’
हड्डियों को वज्र के समान मजबूती देंगे ये व्यायाम :
ताड़ासन :
- पैरों को 10 सेमी. तक खोलकर खड़े हो जाएं। सिर से ऊपर हाथों को सीधे खोल लें और उंगलियों को आपस में मिला लें। सीधे सामने की ओर देखें।
- सांस लेते हुए बाजुओं को ऊपर की ओर खींचें। पैरों की एडि़यां उठाते हुए संतुलन बनाएं। सांस छोड़ते हुए हाथों को नीचे की ओर लाएं। एडि़यों को नीचे टिका लें। ऐसा 10 बार करें।
तिर्यक ताड़ासन :
- अबकी बार एक फुट के करीब पैरों को खोल लें। पहले की तरह ही उंगलियों को आपस में जोड़ें। सामने की ओर देखते हुए बाजुओं को सीधा रखें। सांस बाहर छोड़ते हुए सीधे हाथ की ओर झुकें।
- फिर सांस लेते हुए बीच में आ जाएं। एक बार फिर सांस छोड़ें और बाईं ओर झुकें। हर तरफ से 7 से 10 बार करें।
कटि चक्रासन :
- अबकी बार पैरों को दो फुट तक खोल लें। कंधे की सीध में बाहों को फैला लें। अब सीधी ओर मुड़ते हुए सांसों को छोड़ें और उल्टे हाथ को दाएं कंधे पर रखें। दायीं बाजू को कमर के पीछे ले जाएं।
- कुछ सेंकेंड के लिए रुकें और वापस केंद्र में लौट आएं। इसी प्रक्रिया को विपरीत दिशा में दोहराएं। हर तरफ से 7 से 10 बार करें।
त्रिकोणासन :
- पैरों को दो फुट तक खोलकर खड़े हो जाएं। दाएं पंजे को बाहर दाईं तरफ कर लें। बाजुओं को कंधे की सीध में फैला लें। सीधे पैर के घुटने को थोड़ा मोड़ें और झुकते हुए अपने सीधे हाथ से सीधे पंजे को छुएं।
- सीधे हाथ की सीध में बायीं बाजू को ऊपर उठा लें और बाएं हाथ की हथेली को देखें। धीरे-धीरे सीधे खड़े हो जाएं। अब यही बायीं ओर से दोहराएं। हर ओर से तीन से पांच राउंड करें।
भुजंगासन :
- पेट के बल सीधे लेट जाएं। माथा जमीन की ओर रखें और पैरों को आपस में सटा लें। हाथों को कंधों से सटाकर रखें और हथेलियों को जमीन पर सीधा रखें।
- धीरे-धीरे सांस अंदर लेते हुए सिर, गर्दन व कंधे को जमीन से ऊपर उठाकर पीछे की ओर मुड़ जाएं। हल्की सी कोहनी भी मोड़ सकते हैं। वापस मुद्रा में आते हुए सांस बाहर छोड़ें। ऐसा 5 से 7 बार दोहराएं।