बार-बार खांसी होने और उल्टी होने से बच्चे शारीरिक रूप से बहुत कमजोर हो जाते हैं। कुछ भी खाते-पीते समय खांसी का दौरा प्रारंभ हो जाता है। लगातार खांसी का दौरा चलने पर उल्टी होती है। बार-बार उल्टी होने पर खाया हुआ भोजन पेट से बाहर निकल जाता है।
- कई बार औषधि खिलाते समय भी खांसी शुरू हो जाती है और उल्टी होने जाने के कारण औषधि भी निकल जाती है। खांसी के रोगी बच्चे को बिस्तर पर जाने के बाद थोड़ी देर बाद खांसी का प्रकोप अधिक होता है। बच्चे के जोर-जोर से बोलने और चिल्लाने पर खांसी का दौरा प्रारंभ हो जाता है।
- यह खांसी बच्चों में होने वाली एक संक्रामक तथा खतरनाक बीमारी है। यह मुख्यत: श्वसन तंत्र (Respiratory System) को प्रभावित करती है। भारत जैसे विकासशील देश में प्रत्येक एक लाख की आबादी पर 578 बच्चे प्रत्येक वर्ष इस बीमारी से ग्रसित होते हैं।
- यह रोग लड़कों की तुलना में लड़कियों को ज्यादा होता है। 6 महीने से कम उम्र के बच्चों में इस बीमारी से मृत्यु दर अधिक होती है। हालांकि यह बीमारी साल के किसी भी महीने में हो सकती है किंतु सर्दी के मौसम में काली (कुकुर) खांसी होने की बहुत अधिक संभावना रहती है।
काली खांसी के कारण :
- घर में किसी एक व्यक्ति को काली खांसी हो जाने पर धीरे-धीरे पूरे घर में खांसी फैल जाती है। छोटे बच्चों में काली खांसी की उत्पत्ति सर्दी-जुकाम के कारण होती है। अधिक सर्दी लगने, पानी में अधिक भीगने व सर्दी के दिनों में नंगे पांव घूमने से सर्दी-जुकाम होता है। ऐसे में कुछ बच्चे मूंगफली, अखरोट व अन्य कोई मेवा और घी, तेल मक्खन से बनी चीजें खाकर ठंड़ा पानी पीते हैं तो उन्हें खांसी हो जाती है जो सर्दी के प्रकोप से काली (कुकुर) खांसी में परिवर्तित हो जाती है।
- कुछ बच्चों को काली खांसी का रोग एलर्जी के कारण होता है। एलर्जिक वस्तु के संपर्क में आने पर सांस लेने में परेशानी होती है। गले में जलन व खुजली होती है। गले में सूजन होने से खांसी का प्रकोप बढ़ने के कारण रोगी को बहुत पीड़ा होती है। खांसते हुए रोगी का मुंह लाल पड़ जाता है। मुंह से लार गिरने लगती है। आंखों में से आंसू बहने लगते हैं। रोगी बच्चे भयभीत होकर रोने लगते हैं। अन्त में उल्टी होने पर खांसी का प्रकोप कुछ कम हो जाता है।
सामग्री :
- पीपल: 20 ग्राम
- काकड़ासिंगी: 20 ग्राम
- अतीस: 20 ग्राम
- भुना हुआ सुहागा: 10 ग्राम
दवा बनाने की विधि :
- पीपल, काकड़ासिंगी, अतीस और बहेड़ा सभी औषधियों को 20-20 ग्राम की मात्रा में लेकर बारीक कूट-पीसकर चूर्ण तैयार कर लें।
- इसमें 10 ग्राम नौसादर, 10 ग्राम भुना हुआ सुहागा मिलाकर पीस लें। इसके 3 ग्राम चूर्ण को दिन में 2-3 बार चाटने से काली खांसी दूर हो जाती है।