अक्सर लोग गोंद के लड्डूओं का सेवन करते है लेकिन गोंद को भून कर खाने से भी कई बीमारियां दूर होती है। प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट के गुणों से भरपूर गोंद का सेवन कैंसर से लेकर दिल तक की बीमारियों को दूर करता है।
किसी पेड़ के तने को चीरा लगाने पर उसमे से जो स्त्राव निकलता है वह सूखने पर भूरा और कडा हो जाता है उसे गोंद कहते है। यह शीतल और पौष्टिक होता है। उसमे उस पेड़ के ही औषधीय गुण भी होते है।
आयुर्वेदिक दवाइयों में गोली या वटी बनाने के लिए भी पावडर की बाइंडिंग के लिए गोंद का इस्तेमाल होता है। सर्दियों में इसे खाने से पुरानी खांसी, जुकाम, फ्लू और इंफेक्शन जैसी समस्याएं नहीं होती।
रोजाना गोंद को भून कर खाने से शरीर अंदर से गर्म रहता है, जो आपको कई बीमारियों से दूर रखता है। आइए जानते है रोजाना भूनी हुई गोंद खाने के फायदे।
गोंद को भुनने की विधि
एक पैन में 1/2 टीस्पून तेल गर्म करके उसमें गोंद को भूनें। 3-4 मिनट भूननें के बाद गोंद पॉपकॉर्न की तरह फूल जाएंगे। सर्दियों में गोंद से बने लड्डू का सेवन भी बहुत फायदेमंद होता है।
वविभिन्न प्रकार के गोंद
कीकर या बबूल का गोंद पौष्टिक होता है।
नीम का गोंद रक्त की गति बढ़ाने वाला, स्फूर्तिदायक पदार्थ है। इसे ईस्ट इंडिया गम भी कहते है। इसमें भी नीम के औषधीय गुण होते है।
पलाश के गोंद से हड्डियां मज़बूत होती है। पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध अथवा आँवले के रस के साथ लेने से बल एवं पौरुष में वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं और शरीर पुष्ट होता है। यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है।
आम की गोंद स्तंभक एवं रक्त प्रसादक है। इस गोंद को गरम करके फोड़ों पर लगाने से पीब पककर बह जाती है और आसानी से भर जाता है। आम की गोंद को नीबू के रस में मिलाकर चर्म रोग पर लेप किया जाता है।
सेमल का गोंद मोचरस कहलाता है, यह पित्त का शमन करता है।अतिसार में मोचरस चूर्ण एक से तीन ग्राम को दही के साथ प्रयोग करते हैं। श्वेतप्रदर में इसका चूर्ण समान भाग चीनी मिलाकर प्रयोग करना लाभकारी होता है। दंत मंजन में मोचरस का प्रयोग किया जाता है।
बारिश के मौसम के बाद कबीट के पेड़ से गोंद निकलती है जो गुणवत्ता में बबूल की गोंद के समकक्ष होती है।
हिंग भी एक गोंद है जो फेरूला कुल (अम्बेलीफेरी, दूसरा नाम एपिएसी) के तीन पौधों की जड़ों से निकलने वाला यह सुगंधित गोंद रेज़िननुमा होता है । फेरूला कुल में ही गाजर भी आती है। हींग दो किस्म की होती है – एक पानी में घुलनशील होती है जबकि दूसरी तेल में। किसान पौधे के आसपास की मिट्टी हटाकर उसकी मोटी गाजरनुमा जड़ के ऊपरी हिस्से में एक चीरा लगा देते हैं। इस चीरे लगे स्थान से अगले करीब तीन महीनों तक एक दूधिया रेज़िन निकलता रहता है। इस अवधि में लगभग एक किलोग्राम रेज़िन निकलता है। हवा के संपर्क में आकर यह सख्त हो जाता है कत्थई पड़ने लगता है। यदि सिंचाई की नाली में हींग की एक थैली रख दें, तो खेतों में सब्ज़ियों की वृद्धि अच्छी होती है और वे संक्रमण मुक्त रहती है। पानी में हींग मिलाने से इल्लियों का सफाया हो जाता है और इससे पौधों की वृद्धि बढ़िया होती।
गुग्गुल एक बहुवर्षी झाड़ीनुमा वृक्ष है जिसके तने व शाखाओं से गोंद निकलता है, जो सगंध, गाढ़ा तथा अनेक वर्ण वाला होता है. यह जोड़ों के दर्द के निवारण और धुप अगरबत्ती आदि में इस्तेमाल होता है।
प्रपोलीश- यह पौधों द्धारा श्रावित गोंद है जो मधुमक्खियॉं पौधों से इकट्ठा करती है इसका उपयोग डेन्डानसैम्बू बनाने मंच तथा पराबैंगनी किरणों से बचने के रूप में किया जाता है।
ग्वार फली के बीज में ग्लैक्टोमेनन नामक गोंद होता है .ग्वार से प्राप्त गम का उपयोग दूध से बने पदार्थों जैसे आइसक्रीम , पनीर आदि में किया जाता है। इसके साथ ही अन्य कई व्यंजनों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। ग्वार के बीजों से बनाया जाने वाला पेस्ट भोजन, औषधीय उपयोग के साथ ही अनेक उद्योगों में भी काम आता है।
इसके अलावा सहजन , बेर , पीपल , अर्जुन आदि पेड़ों के गोंद में उसके औषधीय गुण मौजूद होते है।
भूनी हुई गोंद खाने के फायदें
दिल के रोग : इसे भून कर रोजाना सेवन करने से दिल के रोग और हार्ट अटैक के खतका कम होता है। इसके अलावा इसका सेवन मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है।
प्रैग्नेंसी में फायदेमंद : प्रैग्नेंसी में गोंद का सेवन महिलाओं की रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है। इसके अलावा इसका सेवन ब्रैस्ट मिल्क को बढ़ाने में भी मदद करता है।
कब्ज : कब्ज या एसिडिटी की समस्या होने पर 1 चम्मच गोंद का सेवन करें। दिन में 1 बार इसका सेवन करने से आपकी कब्ज की समस्या दूर दो जाएगी।
सर्दी-खांसी : गोंद को गर्म पानी के साथ खाने से सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार की परेशानी दूर होती है। इसके अलावा इसका सेवन पेट इंफेक्शन के खतरे को भी कम करता है।
प्रतिरोधक क्षमता : सुबह दूध के साथ गोंद का सेवन करने से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इससे आप कैंसर, डायबिटीज और ब्लड प्रैशर जैसी बीमारियों से बचे रहते है।
कमजोरी : शरीर की कमजोरी को दूर करने के लिए रोजाना आधे गिलास दूध में गोंद मिलाकर पीएं। इसका सेवन थकान, कमजोरी, चक्कर आना, उल्टी और माइग्रेन जैसी समस्याओं को दूर करता है।
खून की कमी : गोंद के लड्डू, पंजीरी या चिक्की का सेवन शरीर में खून की कमी को पूरा करते है। इसके अलावा इसके लड्डू का सेवन सर्दियों में शरीर को अंदर से गर्म भी रखता है।
पीरियड्स : पीरियड्स दर्द, ल्यूकोरिया, डिलवरी के बाद कमजोरी और शारीरिक अनियमिताओं को ठीक करने के लिए गोंद और मिश्र बराबर मात्रा में मिलाकर कच्चे दूध के साथ खाएं।