• एक अनुभव जो हमको श्री रश्मिकांत परमार जी ने भेजा और आप सब लोगों तक पहुँचाने के लिए कहा. इन्होने अनेक लोगों की पथरी सही कर दी. आइये जाने इनका घरेलु उपयोग इनके ही शब्दों में।
  • एक अनुभव जो आप लोगों से मैं शेयर करना चाहता हूँ. पथरी की दवा जिस से काफी लोगों को फायदा हुआ और जिस से पथरी रेत बन कर मूत्र के साथ निकल जाती है और चाय छानने वाली छन्नी से मूत्र को छानने से हम रेत देख सकते हैं. हमने करीब 60 लोगों को यह दवाई करवाई तो उसमे 40 लोगों को एक बार में ही ठीक हो गयी 10 लोगों को दूसरी बार यह प्रयोग करना पड़ा मगर करीब 10 लोगों को 3-4 बार में भी कोई फायदा नहीं हुआ..

➡ तो आइये जाने क्या प्रयोग किया था रश्मिकांत परमार जी ने :

  1. पत्थरचट जिसको पखानबेद भी कहते हैं इसके 12 – 15 पत्ते. (ये पौधा आपको किसी भी नर्सरी में मिल जायेगा).
  2. जवाखार 15 – 20 ग्राम. (ये किसी अच्छे विश्वसनीय पंसारी से लीजिये, क्यूंकि इसमें मिलावट भी आती है, प्रयोग की सफलता के लिए उच्च कोटि की जवाखार चाहिए.) असली जवाखार करीब रेत के रंग का होता है। www.allayurvedic.org

➡ प्रयोग की विधि :

  • पत्थरचट के पत्तों को अच्छे से धो कर मिक्सर में डाले और उसमे एक गिलास पानी और जवाखार भी डाले फिर मिक्सर में करीब 4-5 मिनट तक उन्हें अच्छे से क्रश कर लें. अब इसमें 7 गिलास पानी और डाल लीजिये. अब इस को अच्छे से मिक्स कर के कांच के बर्तन में भरें और उसको छानना नहीं है ऐसे ही इस्तेमाल करना है. अभी आपके पास 8 गिलास लिक्विड है. एक दिन में 4 गिलास पीने हैं. 4 घंटे के अंतर में एक गिलास पीना है. दिन में 4 गिलास पीने हैं. और बाकी के चार गिलास अगले दिन पीने हैं. और इसके साथ हर आधे घंटे के बाद मटके का शुद्ध पानी पीना है. और ये दो दिन हो सके तो पूरा रेस्ट करना है. इन दो दिनों में बहुत पेशाब लगेगी. और हर बार छन्नी से अपना मूत्र छाने, आपको रेत जैसे कण दिखाई देंगे जो इस प्रयोग के सफल होने की और इशारा करेंगे.
  • इस प्रयोग के एक हफ्ते के बाद आप दोबारा पथरी के लिए जांच करवाएं, यदि थोड़ी पथरी रह गयी हो तो एक हफ्ते या पंद्रह दिनों के बाद फिर से यह प्रयोग करे. इस प्रयोग से 80 % केसेस में पथरी कितनी भी बड़ी हो वो निकल जाती है. ज़्यादातर केसों में इस प्रयोग के बाद ऑपरेशन करवाने की नौबत नहीं आती।
  • Latin name : Kalanchoe Pinnata Synonym: Bryophyllum calycinum, Bryophyllum pinnatum Family: Crassulaceae
  • संस्कृत नाम : पर्ण बीज, हेमसागर
  • हिंदी: पत्थर चट्टम, पत्थर चूर, पत्थर चट, पाषाणबेद, पखान बेद
  • बंगाली : कोप्पट, पत्थर कुची
  • तेलुगु: रानापला
  • तमिल: रुनाकली
  • Other Names: Cathedral Bells, Air Plant, Life Plant, Miracle Leaf, Goethe Plant.
  • यह पौधा साधारणतः लोग घरों में शोभा बढ़ाने के लिए गमलों में ही लगा देते हैं. यह सर्व्सुलुभ है. और किसी भी नर्सरी से आसानी से मिल जायेगा. इसके पौध की कीमत भी 15 से 20 रुपैये होती है. और ये कलम लगाने से ही फूट पड़ता है. ये गमलों में तो क्या ये पत्थरों के बीच में भी निकल जाता है. यह सिर्फ मूत्र मार्ग ही नहीं बल्कि पित्ताशय की पथरी को भी निकालने में सक्षम है. इसको अनेक औषधीय प्रयोगों में प्रयोग किया जाता है. शरीर में कहीं गाँठ बन जाए और उसका मुंह ना बन रहा हो तो उस जगह इस पत्ते को थोडा गर्म करके बाँध दें. कुछ ही दिनों में चाहे वो स्तन की गांठ हो या शरीर के किसी और अंग की गाँठ हो तो वो भी मुंह बना लेती है. ऐसा ग़ज़ब है ये पौधा।

  • रश्मिकांत जी ने अपने फेसबुक प्रोफाइल से हमको कांटेक्ट किया और अपना अनुभव हमसे शेयर किया और इसको जनहित में प्रसारित करने को कहा और उनके कहने के बाद हमने उनका अनुभव यहाँ पर आप लोगों तक पहुँचाया। धन्यवाद…
  • Source : सिर्फआयुर्वेद