लालमिर्च का पौधा 60 से 90 सेमी ऊंचा होता है इसके पत्ते लंबे होते हैं। इसके फूल सफेद व पत्तियों का रंग हरा होता है। फल अगर कच्चा है तो हरा और पक जाने पर हल्का पीला व लाल होता है। एक मिर्च में बहुत से बीज होते हैं जोकि बिल्कुल बैंगनके बीजों की तरह होते हैं। लालमिर्च का स्वाद तीखा होता है यह काफी मशहूर है। कच्चे एवं पके मिर्च का आचार बनाया जाता है और इसका उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है।पिसी हुई लालमिर्च में लकड़ी का बुरादा और रंग मिला होता है। 1 चम्मच पिसी हुई लाल मिर्च 1 कप पानी में घोलें। इससे पानी रंगीन हो जायेगा और बुरादा पानी में तैरने लगेगा।
लाल मिर्च के फायदे और घेरलू उपाय :
1.हैजा (कालरा):
- लाल मिर्च के बीजों को अलग करके उसके छिलकों को बारीक पीस लें, फिर उसमें थोड़ा कपूर, हींग और शहद मिलाकर 240 मिलीग्राम की गोलियां बनाकर खायें। इससे हैजा ठीक हो जाता है।
- हैजा में हर उल्टी और दस्त के बाद रोगी को 1 चम्मच मिर्च का तेल पिलाना चाहिए। इसे तीन चार बार पिलाने से ही हैजा खत्म हो जाता है।
- अफीम और भुनी हींग की गोली देने के बाद, मिर्च का काढ़ा पिलाने से हैजा दूर होता है।
- लालमिर्च को बारीक पीसकर, झड़बेर जैसी गोलियां बनाकर रखें और हैजे के रोगी को हर 1 घंटे पर 1 गोली और 7 लौंग देने से हैजे की बीमारी दूर होती है।
2.मुंह के छाले: लालमिर्च को पानी में घोलकर या काढ़ा बनाकर पीने से मुंह के छाले व घाव जल्द ठीक होते हैं।
3.पेट में पानी का भरना: लालमिर्च के पौधे की 20 ग्राम पत्तियां और 10 दाने कालीमिर्च लेकर ठण्डा करके 1-1 ग्राम की मात्रा में सेंधानमक और नौ
सादार मिलाकर पिलाने से जलोदर में लाभ होता है।
4.खाज-खुजली: शोथ (सूजन), खुजली और त्वचा के रोगों में लाल मिर्च में पकाया हुआ तेल लगाने से लाभ होता है। बारिश के मौसम में होने वाली फुंसियों के लिये यह बहुत ही लाभदायक है।
5.त्वचा के रोग: 125 ग्राम लालमिर्च और 375 मिलीलीटर सरसों के तेल को मिलाकर आग पर पकाने के लिये रख दें। इसके अच्छी तरह से पकने के बाद उतारकर छान लें। इसे लाल मिर्च का तेल कहते है यह कई सालों पुरानी फुंसियों को भी ठीक कर देती है और यह त्वचा के सारे रोगों में फायदा पहुंचाती है।
6.सिर का दर्द: छोटी लालमिर्च और बड़ी लालमिर्च को बराबर मात्रा में लेकर थूहर के दूध के साथ पीसकर माथे पर लेप करें। इससे सभी प्रकार का सिर दर्द ठीक हो जाता है।